सार
Padmini Ekadashi Katha: 29 जुलाई, शनिवार को अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे कमला और पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। अधिक मास 3 साल में एक बार आता है, इसलिए इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
उज्जैन. सावन का अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो चुका है जो 16 अगस्त तक रहेगा। वैसे तो अधिक मास हर तीसरे साल आता है, लेकिन सावन के अधिक मास का संयोग 19 साल बाद बना है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है, इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस महीने की एकादशी को कमला और पद्मिनी एकादशी कहते हैं। इस बार अधिक मास की एकादशी तिथि 29 जुलाई, शनिवार को है ((Padmini Ekadashi 2023 Date)। इस एकादशी की एक कथा भी है, जिसे सुने बिना इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
ये है पद्मिनी एकादशी की कथा (Padmini Ekadashi Katha)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में महिष्मति राज्य पर कृतवीर्य नाम के राजा का शासन था। उनकी 1 हजार पत्नियां थीं, लेकिन संतान एक भी नहीं थी। इसको लेकर राजा हमेशा परेशान रहते थे। वे सोचते थे कि उनके बाद इस राज्य पर कौन शासन करेगा?
- संतान पाने के लिए राजा कृतवीर्य ने तपस्या करने का निर्णय लिया। उनके साथ उनकी एक पत्नी पद्मिनी भी वन में तपस्या करेन को तैयार हो गई। राजा ने अपना राज्य मंत्री को सौंप दिया और गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने निकल पड़े।
- राजा कृतवीर्य और रानी पद्मिनी ने कई सालों तक तपस्या की, लेकिन उनकी मनोकामना पूरी नहीं हुई। तब देवी अनुसूया ने उन्हें पुरुषोत्तम मास के बारे में बताया और इस महीने में भगवान विष्णु की तपस्या करने के लिए कहा।
- राजा कृतवीर्य और रानी पद्मिनी ने पुरुषोत्तम मास आने पर कठोर तप किया। अधिक मास की एकादशी आने पर दोनों ने विधि-विधान पूर्वक व्रत और पूजा भी की। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
- भगवान विष्णु की कृपा से कुछ समय बाद रानी पद्मिनी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। जिसका नाम कार्तवीर्य रखा गया। वो बालक महान बलशाली और पराक्रमी था। उसने राक्षसों के राजा रावण को भी कैद कर लिया था।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति अधिक मास की पद्मिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे ये कथा अवश्य सुननी चाहिए। तभी इस एकादशी व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
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