हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही पवित्र समय माना गया है। श्राद्ध पक्ष से कई परंपराएं भी जुड़ी हैं।
इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है। श्राद्ध के बारे में अनेक धर्म ग्रंथों में कई बातें बताई गई हैं।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि पर पितरों की प्रसन्नता के लिए नवमी का श्राद्ध किया जाता है।
जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो ब्राह्मण द्वारा गरुड़ पुराण का पाठ करवाने की परंपरा है।
श्राद्ध पितरों को प्रसन्न करने का एक माध्यम होता है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए जाने वाले संस्कार उसका पुत्र ही करता है।
16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में लोग अपने घरों में तो पूजा आदि करते ही हैं, साथ ही पवित्र तीर्थों पर भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान करते हैं।
श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान आदि किया जाता है। श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परंपरा भी काफी पुरानी है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास का पहला पखवाड़ा यानी 15 दिन पितरों की पूजा के लिए नियत हैं।
इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 13 सितंबर से होगी, जो 28 सितंबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किए जाते हैं।