सार
अगर आप घर बनवाने या खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो वास्तु के बारे में विचार करना भी आवश्यक है। चूंकि भवन में सकारात्मक ऊर्जा का वास रहने से ही घर में सुख व शान्ति का अनुभव होगा।
उज्जैन. भवन बनाने के लिए कई तरह की भूमि यानी प्लॉट के बारे में वास्तु शास्त्र में बताया गया है जैसे- वर्गाकार भूखण्ड, आयताकार भूखण्ड, वृत्ताकार भूखण्ड, चतुष्कोणाकार, षटकोणाकार, अष्टकोणाकार, गोमुखाकार, सिंहमुखाकार, भद्रासन भूखण्ड, आदि। जानिए किस प्रकार के भूखण्ड में निवास करने से क्या लाभ मिलता है...
1. वर्गाकार भूखण्ड
जिस प्लॉट की लम्बाई, चौड़ाई समान हो और प्रत्येक कोण 90 अंश का हो या चारों भुजायें समान हो। ऐसे भूखण्ड को वर्गाकार कहते है। यह भूखण्ड सर्वश्रेष्ठ प्रकार का होता है, इसमें निवास करने वाले लोग सदा सुखी व समृद्ध होते हैं।
2. आयताकार भूखण्ड
दो भुजाये बड़ी व दो भुजायें छोटी तथा जिसके चारों कोण 90 अंश के हो इस प्रकार के भूखण्ड को आयताकार कहते है। इस भवन में निवास करने वाले लोगों के पास धन-धन्य व पद-प्रतिष्ठा बनी रहती है। गृहस्थ जीवन के लिए यह भूखण्ड उत्तम होता है।
3. वृत्ताकार भूखण्ड
जो भूखण्ड गोले के आकार का हो उसे वृत्ताकार भूखण्ड कहते है। सन्यांसी, सन्तों व अध्यात्मिक पुरूषों के निवास के लिए यह भवन उपयुक्त होता है।
4. षटकोणाकार भूखण्ड
छह कोणों पर छह भुजाओं से युक्त भूखण्ड को षटकोणाकार भूखण्ड होता है। इस भूखण्ड पर निमार्ण करके रहने से दिन-दूनी, रात-चैगनी प्रगति होती है। घर के मुखिया का अपने परिवार पर पूरा नियन्त्रण रहता है।
5. अष्टकोणाकार भूखण्ड
जो भूखण्ड आठ कोणों व आठ भुजाओं से युक्त होता है उसे अष्टकोणाकार भूखण्ड कहते है। इस भूखण्ड में निमार्ण करके रहने से धन-धान की वृद्धि होती है एंव परिवार में आपसी प्रेम बना रहता है।
6. गोमुखाकार भूखण्ड
जिस भूखण्ड का फ्रंट कम होता है तथा पीछे की लम्बाई अधिक होती है। उसे गोमुखाकार भूखण्ड कहते है। इस प्लाट पर भवन बनाकर रहना अति-उत्तम माना जाता है। यह भवन व्यापारिक दृष्टिकोण से भी शुभ माना जाता है।
7. सिंहमुखाकार भूखण्ड
जो भवन सामने से अधिक और पीछे से कम हो तो उसे सिंहमुखाकार भूखण्ड कहते है। ऐसे भूखण्ड पर भवन बनाकार रहना तो शुभ नहीं होता है किन्तु व्यापारिक प्रतिष्ठान के लिए यह भवन शुभ होता है।
8. भद्रासन भूखण्ड
जिस भूखण्ड की लम्बाई व चैड़ाई समान हो तथा मध्य भाग समतल हो तो उसे भद्रासन भूखण्ड कहते है। ऐसी भूमि पर भवन-निर्माण करके वास करने से सभी प्राकर के सुखों की प्राप्ति होती है। सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, शान्ति और प्रगति ये सभी सुख प्राप्त होते है।
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