भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है।
इस गणेश मंदिर में हर समय भगवान के चरणों में चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है।
इस बार गणेश उत्सव की शुरूआत 2 सितंबर, सोमवार से होगी।
इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितंबर, सोमवार को है। भगवान गणेश को घर लाने की तैयारियां शुरू हो चुकी है।
किसी भी शुभ काम का शुभारंभ श्रीगणेश के पूजन के बाद ही होता है। इनकी पूजा से हमारे सारे काम बिना किसी बाधा से पूरे हो जाते हैं।
श्रीगणेश की पूजा अनेक रूपों में की जाती है, उनमें से एक रूप है श्वेतार्क गणेश। ज्योतिष व तंत्र उपायों में भी श्वेतार्क गणेश का विशेष महत्व है।
गणेश चतुर्थी पर मूर्ति लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणेश जी की ऐसी मूर्ति घर लानी चाहिए जो शास्त्रों के अनुसार सही हो। यानी पुराणों और ग्रंथों में जैसा गणेश जी का स्वरूप बताया गया है उनकी मूर्ति भी वैसी ही होनी चाहिए।
2 सितंबर, सोमवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीगणेश का प्राकट्य माना जाता है।
श्रीगणेश भगवान शिव व पार्वती के पुत्र हैं, ये बात हम सभी जानते हैं, लेकिन श्रीगणेश के संपूर्ण परिवार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गौधन (गाय, बछड़ा आदि) की पूजा विशेष रूप की जाती है।