सार

Parshuram Jayanti 2023: इस बार भगवान परशुराम की जयंती 22 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी। भगवान परशुराम को अति क्रोधी कहा जाता है। उन्होंने क्रोध में आकर कई बार धरती से क्षत्रियों का सर्वनाश कर दिया था। उनके क्रोध से सभी डरते थे।

 

उज्जैन. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 22 अप्रैल, शनिवार को है। (Parshuram Jayanti 2023) श्रीमद्भागवत के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के उन्नीसवें अवतार थे। इन्हें अति क्रोध और क्षत्रिय कुल संहारक भी कहा जाता है। क्रोध में उन्होंने कई बार क्षत्रियों का विनाश कर दिया था। भगवान परशुराम तो ब्राह्मण थे, लेकिन उनमें क्षत्रियों वाले गुण थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ। इससे संबंधित एक कथा महाभारत में मिलती है। आगे जानिए इस कथा के बारे में…

इसलिए परशुराम थे अति क्रोधी और बलशाली
- महाभारत के अनुसार, महर्षि भृगु के पुत्र ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था। राजा गाधि की कोई अन्य संतान नहीं थी। ऐसे में सत्यवती ने अपने पिता के वंश को आगे बढ़ाने के लिए अपने ससुर महर्षि भृगु से याचना की।
- पुत्रवधू के कहने पर महर्षि भृगु ने उसे दो फल दिए और कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम गूलर के वृक्ष का तथा तुम्हारी माता पीपल के वृक्ष का आलिंगन करने के बाद ये फल खा लेना, लेकिन इस काम को करने में दोनों से गलती हो गई।
- जब यह बात महर्षि भृगु को पता चली तो उन्होंने सत्यवती से कहा कि तूने गलत वृक्ष का आलिंगन किया है। इसलिए तेरा पुत्र ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रिय गुणों वाला रहेगा और तेरी माता का पुत्र क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों की तरह आचरण करेगा।
- ससुर की बात सुनकर सत्यवती डर गई और याचना की कि “मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला न हो भले ही मेरा पौत्र (पुत्र का पुत्र) ऐसा हो।” महर्षि भृगु ने कहा “ठीक है, ऐसा ही होगा। तुम्हारे पौत्र में क्षत्रियों वाले गुण होंगे।”
- कुछ समय बाद सत्यवती के गर्भ से जमदग्रि मुनि का जन्म हुआ। इनका विवाह रेणुका से हुआ। मुनि जमदग्रि के चार पुत्र हुए। उनमें से परशुराम चौथे थे। अपनी दादी की एक गलती के कारण भगवान परशुराम का स्वभाव क्षत्रियों के समान था।


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