सार
Sabarimala Temple Facts: केरल का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर पांच दिवसीय पूजा के लिए 15 जुलाई, सोमवार को खोला गया। इस दौरान कईं धार्मिक परंपराएं भी निभाई गई। मंगलवार को यहीं विशेष पूजा की जाएगी।
Sabarimala Temple Karkidakam Pooja : केरल के पतनमतिट्टा ज़िले में पहाड़ी पर स्थित है भगवान अयप्पा का मंदिर, जिसे सबरीमाला कहते हैं। ये मंदिर खासी प्राचीन है। 16 जुलाई, सोमवार को कार्किडकम की पांच दिवसीय मासिक पूजा के लिए सबरीमाला मंदिर खोला गया। मंदिर में चल रही परंपरा के तहत शाम को यहां अनुष्ठान नहीं किया गया। मंगलवार को यहां कालभाभिषेकम, लक्षार्चन और सहस्रकलासम सहित विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे। इस दिन केवल उन्हीं भक्तों को दर्शन की अनुमति होगी जिनके पास वर्चुअल क्यू पास होंगे।
क्यों खास है सबरीमाला मंदिर?
सबरीमाला केरल के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ये मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। सबरीमाला मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के पहले हुआ था। यहां तभी से 10-50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। अन्य मंदिरों की तरह सबरीमाला मंदिर पूरे साल खुला नहीं रहता, सिर्फ समय-समय पर इस मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोले जाते हैं।
यही किया था भगवान अयप्पा ने महिषासुर की बहन का वध
मान्यता है कि ये मंदिर जहां स्थापित हैं, वहीं भगवान भगवान अयप्पा ने राक्षस महिसासुर की बहन का वध किया था। ऐसा भी कहते हैं कि भगवान परशुराम ने ही यहां अयप्पा भगवान की मूर्ति स्थापित की थी। ये मंदिर 18 पड़ाहियों के बीच घिरा है। इसमें 18 पवित्र सीढ़ियां भी हैं।
क्यों है महिलाओं के प्रवेश पर रोक?
ऐसा कहा जाता है कि भगवान अयप्पा बाल ब्रह्मचारी और तपस्वी हैं, इसलिए उनके मंदिर में ऐसी महिलाओं के प्रवेश पर रोक है जिन्हें मासिक धर्म आता है। इनमें 10 साल से लड़की से लेकर 50 साल की महिलाएं शामिल हैं। इस बात पर कईं बार विवाद की स्थिति भी बन चुकी है।
मंदिर में प्रवेश के लिए 41 दिन का व्रत
मंदिर में प्रवेश के लिए किया जाने व्रत बहुत ही कठिन है। ये व्रत 41 दिनों का होता है। इसे व्रथम कहते हैं। ये व्रत पूरा करने के बाद ही कोई भक्त मंदिर में प्रवेश कर सकता है। कहते हैं कि जो कोई तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, सिर पर नैवेद्य (प्रसाद) की पोटली रखकर मंदिर पहुंचता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।