सार
समुद्र शास्त्र के अनुसार, स्त्रियों के पेट देखकर भी जाना जा सकता है कि वो किस्मत वाली है या नहीं। इस बात को समझने के लिए उनके पेट के आकार-प्रकार और रेखाओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
पेट हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। समुद्र शास्त्र में इस पर भी काफी रिसर्च की गई है और ये बताया गया है कि किस आकार, रेखाओं और चिह्न वाले व्यक्ति का नेचर और फ्यूचर कैसा हो सकता है। समुद्र शास्त्र में पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों के पेट से जुड़ी खास बातें भी बताई गई हैं। आगे जानिए कैसे पेट वाली स्त्री होती है खुशकिस्मत और किसे नहीं मिलता किस्मत का साथ…
मध्यं वलित्रयचितं सुस्पर्श रोमवर्जितम्।
यस्या: सा राजमहिषी कन्या नासत्यत्र संशय।।
अर्थ- महिलाओं के पेट पर यानी नाभि के आस-पास बाल होना शुभ नहीं होता। ऐसी महिलाओं के अपने जीवन में अनेक तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्त्री यदि किसी राजा के घर में भी जन्म लेती है तो भी वह जीवन भर किसी न किसी कारण परेशान रहती है। इसमें कोई संशय नहीं है।
एकवलि: शतायु: स्याच्छीभोगी द्विवलि: स्मृत:।
त्रिवलि क्ष्माप आचार्य ऋजुभिर्वलिभि: सुखी (गरुड़पुराण)
अर्थ- जिस स्त्री के पेट पर एक वलि यानी रेखा होती है, उसकी उम्र ज्यादा होती है। दो रेखा जिसके पेट पर होती है वह धनी और सभी सुख भोगने वाला होता है। तीन रेखा जिस स्त्री के पेट पर होती है अपने बल पर नाम कमाती है।
शस्त्रान्तं स्त्रीभोगिनमाचार्य बहुसुतं यथासंख्यम।
एकद्वित्रिचतुर्भिर्वलिभिविन्द्यान्नृपं त्ववलिम।। (वृहत्संहिता)
अर्थ- जिस स्त्री के पेट पर 4 रेखाएं होती है, वह भोगी स्वभाव की होती है यानी उसे खाने-पीने का बहुत शौक होता है और उसके एक नहीं कईं पुत्र होते हैं। ऐसी महिलाओं को जीवन में धन-दौलत की कमी नहीं होती और ये अपने तरीके से जीवन-यापन करती हैं।
कुंभाकारं दरिद्राया: जठरं च मृदंगवत्।
कूष्माण्डाभं यवाभं च दुष्पूरं जायते स्त्रिया:।। (समुद्र शास्त्र)
अर्थ- जिस स्त्री का पेट घड़े के समान होता है वह अधिकांश समय बीमार रहती है। इसे अपने जीवन में कईं बार अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं के पास जितना भी पैसा आ जाए, लेकिन ये गरीब ही रहती हैं। इनके हाथ में बरकत नहीं होती।
उदरेणाभितुच्छेन विशिरेण मृदुत्वचा।
योषित् भवति भोगाढ्या नित्यं मधुरभोजिनी (समुद्र)
अर्थ- जिन स्त्रियों का पेट छूने में कोमल, पतला, कम चौड़ा होता है, वो किस्मत वाली होती है और अपने जीवन में सभी सख भोगती हैं। ये खाने-पीने का भी बहुत शौक होता है।
नाभेरधस्ताद् विपुला त्रिशिखाप्रज्वलत्तनु:।
विद्धति महीमस्य भ्रष्टामपि पुन: पुन:।। (स्कंद)
अर्थ- नाभि के नीचे यदि एक रेखा खड़ी हो और वह आगे जाकर त्रिशूल की तरह हो जाए तो ऐसी महिला अपने जीवन में बहुत नाम कमाती है। ये शास्त्रों को जानने वाली और गुप्त विद्याओं की जानकार होती है। कईं बार ऐसी स्त्रियों किसी बड़े सरकारी पद पर भी होती है।
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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।