सार
Sawan 2023: मंत्रों के जाप से बड़ी से बड़ी परेशानी दूर हो सकती है। इन मंत्रों का जाप पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करनी होगी चाहिए। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी कई मंत्रो की रचना की गई है। इन सभी में सबसे शक्तिशाली है महामृत्युंजय मंत्र।
उज्जैन. इन दिनों भगवान शिव का प्रिय सावन मास (Sawan 2023) चल रहा है। इस महीने में यदि शिवजी के मंत्रों का जाप किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। वैसे तो शिवजी को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों का रचना की गई है, लेकिन इन सभी में सबसे खास है महामृत्युजंय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra)। नाम से ही पता चलता है कि इस मंत्र में मृत्यु को मात देने की भी अद्भुत शक्ति है। इस मंत्र का जाप सावन में जरूर करना चाहिए। उज्जैन (Ujjain) के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा (Astrologer Pt. Manish Sharma) के अनुसार, इस मंत्र के जाप से अनेक खतरनाक दोषों का नाश हो सकता है। आगे जानिए क्यों खास है ये मंत्र…
अकाल मृत्यु से बचाता है महामृत्युंजय मंत्र
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र के जाप से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। ये मंत्र अकाल मृत्यु से भी बचाता है। अगर मन में कोई अनजाना भय हो तो भी इस मंत्र का जाप शुभ रहता है। ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका हल इस मंत्र के जाप से संभव न हो। यही कारण है कि जब कोई व्यक्ति मृत्यु शय्या पर हो यानी मरने की स्थिति में हो तो उसे ठीक करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
ये महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।।
अर्थ - हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव का सच्चे मन से ध्यान करते हैं। भगवान शिव हमारे जीवन में मधुरता, सुख-शांति को बढ़ाते हैं। हम जीवन और मृत्यु के डर से मुक्त होकर अमृत की ओर अग्रसर हों। भगवान शिव हम पर ऐसी कृपा करें।
ये 8 दोष दूर होते हैं इस मंत्र का जाप से (Benefits of Mahamrityunjaya Mantra)
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग दोष, दु:स्वप्न दोष, गर्भनाश दोष और संतानबाधा दोष का निवारण होता है। इस मंत्र के जाप से लंबी और सेहतमंद आयु, धन-संपत्ति आदि सभी कुछ प्राप्त हो सकती है। ऋग्वेद, यजुर्वेद सहित शिवपुराण, लिंग पुराण आदि ग्रंथों में भी इस मंत्र का महत्व बताया गया है।
किसने की थी इस मंत्र की रचना? (Who Wrote the Mahamrityunjaya Mantra?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में मुकण्ड नाम के एक ऋषि थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। भगवान शिव की कृपा से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ, जिसका नाम उन्होंने मार्कण्डेय रखा। जब ऋषि मुकण्ड को ये बता चला कि उनके पुत्र की आयु अधिक नहीं है तो उन्हें बहुत दुख हुआ। बड़ा होकर मार्कण्डेय भी शिवजी की भक्ति करने लगा। जब उसे पता चला कि कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु होने वाली है तो उसनें महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और उसी का जाप करने लगा। तय समय पर जब यमराज मार्कण्डेय के प्राण लेने आए तो वह शिवलिंग से लिपट गया। तभी वहां महादेव स्वयं प्रकट हुए और मार्कण्डेय को यमराज से मुक्ति दिलाई। मार्कण्डेय ऋषि की भक्ति देखकर शिवजी ने उन्हें अमरता का वरदान दिया।
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