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Sawan 2025: महादेव के 8 अवतार की रोचक कथाएं, इनमें से कौन-से 2 आज भी हैं जीवित?

Interesting stories of Lord Shiva: इन दिनों भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन चल रहा है। ये महीना 9 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में शिवजी के साथ-साथ उनके प्रमुख अवतारों की भी पूजा करने का विशेष महत्व है। 

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Manish Meharele
Published : Jul 19 2025, 05:51 PM IST
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ये हैं शिवजी के 8 प्रमुख अवतार
Image Credit : freepik

ये हैं शिवजी के 8 प्रमुख अवतार

Shivji Ke Aavtaro Ki Katha: सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस महीने में महादेव के साथ उनके अवतारों की पूजा भी करनी चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। शिवपुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों के बारे में बताया गया है। मगर बहुत कम लोग महादेव के इन अवतारों के बारे में जानते हैं। खास बात ये है कि इनमें से 2 अवतार आज भी जीवित हैं। सावन के इस पावन मौके पर जानें भगवान शिव के 8 प्रमुख अवतारों के बारे में…

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भैरव ने काटा था ब्रह्मा का सिर
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भैरव ने काटा था ब्रह्मा का सिर

एक बार ब्रह्मदेव को स्वयं पर अहंकार हो गया वे स्वयं को शिव और विष्णु से भी श्रेष्ठ बताने लगे। तब महादेव ने भैरव अवतार लेकर उनका एक मस्तक काट दिया, जिससे उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति के लिए भैरव ने काशी जाकर तपस्या की। आज भी भैरव को काशी का कोतवाल यानी रक्षक कहा जाता है। शिव के भैरव अवतार की पूजा तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए की जाती है।

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दुर्वासा ऋषि भी महादेव के अवतार
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दुर्वासा ऋषि भी महादेव के अवतार

शिवपुराण के अनुसार, ऋषि दुर्वासा भी महादेव के अवतार थे। इनका स्वभाव अत्यंत क्रोधी था। इनके क्रोध की कईं कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। एक बार ऋषि दुर्वासा ने देवराज इंद्र को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया, जिसके चलते स्वर्ग का धन-वैभव सबकुछ नष्ट हो गया था। बाद में समुद्र मंथन से पुन: देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं और स्वर्ग का वैभव लौट आया।

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हनुमानजी आज भी जीवित
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हनुमानजी आज भी जीवित

शिवपुराण के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया, उसी समय उनकी सहायता के लिए महादेव ने भी हनुमान के रूप में अवतार लिया। ये महादेव का सबसे शक्तिशाली अवतार हैं। हनुमानजी ने लंका विजय में श्रीराम की सहायता की। माता सीता ने ही हनुमानजी को अमरता का वरदान दिया था, इसलिए मान्यता है कि वे आज भी जीवित हैं।

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नंदी वाहन भी और अवतार भी
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नंदी वाहन भी और अवतार भी

भगवान शिव के प्रमुख अवतारों में नंदी भी शामिल हैं। नंदी को हम महादेव के वाहन के रूप में जानते हैं। इनकी कथा शिवपुराण में मिलती है, उसके अनुसार, शिलाद मुनि ने तपस्या करके महादेव को प्रसन्न किया और उनके ही समान पुत्र मांगा, तब पुत्र के रूप में महादेव स्वयं नंदी बनकर प्रकट हुए थे।

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ऋषि पिप्पलाद ने किया शनि पर वार
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ऋषि पिप्पलाद ने किया शनि पर वार

शिवपुराण के अनुसार, महर्षि दधिची के पुत्र थे पिप्पलाद। पीपल के वृक्ष के नीचे जन्म होने के कारण इनका ये नाम पड़ा। ये भी महादेव के अवतार थे। जब पिप्पलाद मुनि को पता चला कि शनि की दृष्टि के कारण ही उनके पिता की मृत्यु हुई है तो उन्होंने अपना ब्रह्मदंड शनिदेव की ओर फेंका, जो उनके पैरों में लगा। इसके बाद से शनिदेव की गति धीमी हो गई। ऋषि पिप्पलाद की पूजा से शनि दोष नहीं होता।

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शरभावतार ने किया भगवान नृसिंह का क्रोध शांत
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शरभावतार ने किया भगवान नृसिंह का क्रोध शांत

धर्म ग्रंथों के के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक दैत्य का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ तो सभी देवी-देवता शिवजी के पास गए। तब भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया। इस अवतार में उनका स्वरूप शेर और विशाल पक्षी का था, जिसने नृसिंह को अपनी पूंछ में लपेट लिया था।

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वीरभद्र ने किया दक्ष के यज्ञ का विध्वंस
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वीरभद्र ने किया दक्ष के यज्ञ का विध्वंस

शिवपुराण के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह किया तो महादेव ने क्रोध में आकर वीरभद्र अवतार लिया था। वीरभद्र ने न सिर्फ दक्ष प्रजापति के यज्ञ का नाश कर दिया बल्कि उनके सिर भी काट दिया। स्वयं भगवान विष्णु भी शिव के इस अवतार का सामना नहीं कर पाए थे।

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अश्वत्थामा आज भी जीवित
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अश्वत्थामा आज भी जीवित

महाभारत के अनुसार, द्वापरयुग में रुद्र के एक अंश ने गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के रूप में जन्म लिया था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था। क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के पुत्र पर वार किया जिससे श्रीकृष्ण ने इन्हें पृथ्वी के अंत तक जीवित रहने का श्राप दिया था। मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी धरती पर कहीं निवास करते हैं।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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