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Sawan First Somvar 2023: सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को, इस विधि से करें पूजा, जानें सामग्री की पूरी लिस्ट, मंत्र, शुभ मुहूर्त और आरती
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जानें पहले सावन सोमवार से जुड़ी हर खास बात...
इस बार सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को है (Sawan First Somvar 2023)। इस दिन की गई शिव पूजा बहु ही खास मानी गई है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूरे सावन मास में शिव जी की पूजा न कर पाएं तो वह सिर्फ सावन सोमवार को ही शिव पूजा करके भी महादेव को प्रसन्न कर सकता है। इस बार पहले सावन सोमवार पर शिव पूजा का दुर्लभ संयोग बन रहा है। आगे जानिए इस दिन कैसे करें शिवजी की पूजा और शुभ मुहूर्त…
पहले सावन सोमवार पर दुर्लभ संयोग ( Kab Hai Sawan Somvar)
इस बार सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को है। इस दिन सावन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शाम 06.44 तक रहेगी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अष्टमी तिथि के स्वामी रुद्र हैं, जो कि शिवजी का ही स्वरूप हैं। सावन के पहले सोमवार पर अष्टमी तिथि का संयोग बहुत ही शुभ है। इस दुर्लभ संयोग में की गई शिव पूजा हर इच्छा पूरी कर सकती है।
इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे? (Sawan Somvar 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, 10 जुलाई, सोमवार को रेवती नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे मातंग नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा सुकर्मा नाम का एक अन्य शुभ योग भी रहेगा। इस दिन कर्क राशि में सूर्य और बुध एक साथ रहेंगे, जिससे बुधादित्य नाम का राजयोग बनेगा। इतने सारे शुभ योगों के चलते सावन के पहले सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया है।
ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त (Sawan Somvar 2023 Shubh Muhurat)
सावन का पहले सोमवार को दिन भर पूजा के कई मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तों में की गई शिव पूजा से उत्तम फल प्राप्त होंगे…
- सुबह 09:12 से 10:52 तक
- दोपहर 12:05 से 12:58 तक
- दोपहर 03:52 से शाम 05:32 तक
- शाम 04:38 से 06:12 तक
शिव पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री (Shiv Puja Samgri List)
दीपक, फूल, फल, शुद्ध घी, गाय का कच्चा दूध, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, कपूर, धूप, शहद, पवित्र जल, मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग आदि।
सावन सोमवार पर शिव पूजा की विधि (Shiv Puja Vidhi on Sawan Somwar)
- 10 जुलाई यानी सावन के पहले सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके लिए हाथ में जल, चावल और फूल लें और शिवजी से प्रार्थना करें।
- इसके बाद ऊपर बताए गए शुभ महूर्त में किसी शिव मंदिर जाएं या अपने ही घर पर पूजा की तैयारी करें। सबसे पहले शिवलिंग पर स्वच्छ जल जढ़ाएं। इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें।
- एक बार फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद गंध, रोली, मौली, जनेऊ, शहद, मिठाई, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- सबसे अंत में अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से 108 बार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। संभव हो तो शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ भी करें।
- इस आसान विधि से शिवजी की पूजा करने के बाद आरती करें। इसके बाद भक्तों को प्रसाद बांट दें। दिन भर निराहार करें। ऐसा संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।