Sawan Special in Hindi: सावन के पवित्र महीने में हम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे उसकी स्थापना हुई। क्या है उसके पीछे की महत्वपूर्ण गाथा।
Sawan Special: सावन का महीना चल रहा है जोकि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इन दिन भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं। देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं, जिनमें से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) की आज हम चर्चा करने जा रहे हैं। इसकी स्थापना रावण की एक गलती की वजह से हुई। आइए जानते हैं उसके बारे में यहां। हर कोई जानता है कि रावण भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपनी भूख-प्यास सब त्याग दी थी। एक बार रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर कठोर तपस्या कर रहा था। इस दौरान वो एक-एक करके अपने सारे 9 सिरों को शिवलिंग के आगे अर्पित करता जाता। जैसे ही रावण अपना 10वां सिर काटने लगा तभी भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव ने रावण को वरदान मांगने के लिए कहा।
रावण था बुद्धिमान उसने भगवान शिव (Bhagwan Shiv Puja) को अपने साथ लंका चलने के लिए कहा। भगवान शिव तुरंत माने गए, लेकिन उन्होंने रावण से कहा कि यदि रास्ते में उसने कहीं भी शिवलिंग रखा तो वो उसे दोबारा नहीं उठा पाएगा। रावण ने इस बात के लिए राजी हो गया। इस बारे में बाकी देवी-देवताओं को जैसे ही पता लगा वो भयभीत हो गए। भगवान विष्णु से वो इस समस्या का हल मांगने पहुंच गए।
भगवान विष्णु ने रावण को दी मात
भगवान विष्णु ने एक लीला रची, जिसके लिए उन्होंने वरुण देव को आचमन करने के लिए रावण के पेट में जाने का आदेश दिया। रावण को लघुशंका लगी और उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो शिवलिंग को छोड़कर कैसे जाएं। उस वक्त उन्हें बैजू नाम का एक ग्वाला नजर आया। रावण ने बैजू को शिवलिंग पकड़ने के लिए दे दिया। भगवान विष्णु ने इसी मौके का फायदा उठाते हुए शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया। इसके बाद से इस जगह को बैजनाथ धाम के नाम से पहचाने जाने लगा। साथ ही इस जगह को रावणेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।
