सार
Vat Savitri Purnima Vart 2023: भारत विविधताओं का देश है। यहां एक ही पर्व कई अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। ऐसा ही एक पर्व है वट सावित्री। उत्तर भारत में ये ज्येष्ठ अमावस्या को मनाते हैं, वहीं दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर।
उज्जैन. दक्षिण और उत्तर भारत के कैलेंडरों में 15 दिन का अंतर होता है, जिसके चलते एक ही पर्व इन दोनों जगहों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाए जाते हैं। (Vat Savitri Purnima Vart 2023) ऐसा ही एक पर्व है वट सावित्री व्रत। उत्तर भारत में ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में ये पर्व ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर किए जाने की परंपरा है। आगे जानिए इस बार वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कब किया जाएगा और इससे जुड़ी खास बातें…
किस दिन किया जाएगा वट सावित्री पूर्णिमा व्रत? (Vat Savitri Purnima Vart 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 03 जून, शनिवार की सुबह 11:17 से 04 जून, रविवार की सुबह 09:11 तक रहेगी। चूंकि वट सावित्री व्रत में पूजा दोपहर के समय की जाती है, इसलिए ये व्रत 3 जून को ही किया जाएगा। लेकिन पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 4 जून को होने से पूर्णिमा से संबंधित उपाय, पूजा आदि 4 जून को किए जाएंगे।
कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन? (Vat Savitri Purnima Vart 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, 3 जून, शनिवार को विशाखा नक्षत्र सुबह 06.16 तक रहेगा, इसके बाद अनुराधा नक्षत्र दिन भर रहेगा। शनिवार को पहले विशाखा नक्षत्र होने से शुभ और इसके बाद अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम के 2 योग इस दिन रहेंगे। इनके अलावा शिव और सिद्ध नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। इस तरह ये व्रत 4 शुभ योगों के संयोग में किया जाएगा।
क्यों किया जाता है ये व्रत? (Kyo Kiya Jata Hai Vat Savitri Purnima Vart)
वट सावित्री व्रत का वर्णन कई धर्म ग्रंथों में किया गया है। इसके अनुसार, पति की लंबी के लिए महिलाओं के व्रत जरूर करना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कष्ट दूर होते हैं। योग्य संतान की कामना से भी ये व्रत किया जाता है। महाभारत में इस व्रत से संबंधित कथा का वर्णन भी है। व्रत करने वाली महिलाओं को ये कथा जरूर सुननी चाहिए।
किस-किस देवी-देवा की पूजा होती है इस दिन?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वट सावित्री व्रत में भगवान शिव-पार्वती, ब्रह्मा-सावित्री, सत्यवान-सावित्री और यमराज के साथ-साथ वट वृक्ष यानी बरगत के पेड़ की पूजा की जाती है। इन सभी की पूजा सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है। अखंड सौभाग्य की कामना से वट सावित्री व्रत किया जाता है।
ये भी पढ़ें-
Hindu Tradition: विदाई से पहले दुल्हन अपने घर की चौखट यानी देहली की पूजा क्यों करती है?
Palmistry: हथेली में ये रेखा छोटी हो तो जल्दी होती है मृत्यु, ब्रेन हेमरेज हो सकता है कारण
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।