सार
Somvati Amawasya Ki Katha: 30 दिसंबर को साल 2024 की अंतिम अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस दिन सोमवार होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। इस व्रत का पूरा फल पाने के लिए कथा सुनना जरूरी है।
Kab hai Somvati Amawasya 2024: हर महीने के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या कहलाता है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या का संयोग बनता है। जिस दिन अमावस्या तिथि सोमवार को होती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। साल 2024 के अंतिम सोमवार को यानी 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस दिन शिवजी की पूजा का विधान है। सोमवती अमावस्या से जुड़ी एक कथा भी है, जिसे सुने बिना इस व्रत-पूजा का पूरा फल नहीं मिलता…
ये है सोमवती अमावस्या की कथा (Somvati Amawasya Ki Katha)
- किसी समय एक शहर में गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्री के साथ रहता था। सर्वगुण संपन्न होने के बाद भी ब्राह्मण की पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उस ब्राह्मण के घर पर एक महात्मा आए। ब्राह्मण के परिवार ने और उस कन्या ने उनका खूब आदर-सत्कार किया।
- ब्राह्मण कन्या की सेवा से महात्मा बहुत प्रसन्न हुए। पूछने पर ब्राह्मण ने अपनी समस्या महात्मा को बताई और समाधान पूछा। महात्मा ने लड़की का हाथ देखा और कहा कि ‘इस लड़की के हाथ में तो विवाह रेखा ही नहीं है।’ ये सुनकर ब्राह्मण पति-पत्नी बहुत दुखी हो गए।
- तब महात्मा ने कहा ‘यहां से थोड़ी दूर एक गांव है, वहां सोना नाम की एक धोबिन रहती, वो पतिव्रता महिला है। अगर तुम्हारी लड़की उस धोबिन को प्रसन्न कर ले और उसकी मांग का सिंदूर ले आए तो इसका विवाह संभव है।’ उपाय बताकर महात्मा वहां से चले गए।
- ब्राह्मण कन्या अगले ही दिन सोना धोबिन के घर पहुंच गई और उसके घर का पूरा काम करने लगी। इस तरह उसने अपने कुशल व्यवहार से सोना धोबिन को जल्दी ही खुश कर लिया। जब सोना ने लड़की से पूरी बात पूछी तो उसने सबकुछ सच-सच बता दिया।
- उस दिन संयोग से सोमवती अमावस्या थी। खुश होकर सोना धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगा दिया। जब ये बात ब्राह्मण कन्या के माता-पिता को पता चली तो वे बहुत खुश हुए। लेकिन ऐसा करेन से सोना धोबिन की पति की मृत्यु हो गई।
- सोना धोबिन ने पीपल का पेड़ की 108 बार उसकी परिक्रमा की अपने सोमवती अमावस्या के व्रत को पूर्ण किया। इस व्रत के प्रभाव से उसका पति पुनर्जीवित हो गया। इस तरह जो भी सोमवती अमावस्या का व्रत करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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