सार

हिंदू धर्म में, रसोई घर को पवित्र माना जाता है और वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में चूल्हा रखना अशुभ माना जाता है। यह आध्यात्मिक मान्यताओं, ऊर्जा प्रवाह और संभावित नकारात्मक प्रभावों से जुड़ा है।

हिंदू धर्म में घर की रसोई या किचन को घर का हृदय कहा जाता है, इसलिए घर में रसोई से जुड़े वास्तु नियम को भी विशेष माना गया है। घर की रसोई में हम यहां के सभी उपकरणों को एक निश्चित दिशा और स्थान में रखने की परंपरा सालों से हैं। रसोई के चूल्हा से लेकर पानी रखने वाला परिंडा, तक सभी चीजों वास्तु के अनुसार एक तय दिशा में रखा जाता है। रसोई घर में वास्तु नियम का पालन करने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य, तरक्की, घर में सकारात्मकता, समेत और भी दूसरी चीजों को प्रभावित करता है। ऐसे में आज के इस लेख में रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले गैस चूल्हा को दक्षिण की ओर मुख रखकर खाना बनाने से जुड़ी खास वास्तु नियम के बारे में हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से जानेंगे।

भारतीय संस्कृति और वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा को यम (मृत्यु के देवता) की दिशा माना जाता है। इसलिए कुछ परंपराओं में इस दिशा से जुड़े कुछ नियम और विश्वास होते हैं, जिनका पालन सालों से हिंदू धर्म में किया जा रहा है। पंडित जी ने बताया  कि यदि हम रसोई घर में गैस-चूल्हा को दक्षिण दिशा में रखकर या उसकी ओर मुंह करके खाना बनाते हैं तो यह अशुभ है। ऐसे में चलिए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख कारण।

क्यों नहीं बनाना चाहिए दक्षिण की ओर गैस चूल्हा का मुख रखकर खाना

1. आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं:

दक्षिण दिशा को मृत्यु और विनाश की दिशा मानी जाती है। इस दिशा से संबंधित वस्तुओं का उपयोग घर में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन बिगाड़ सकता है। खाना बनाना और भोजन जीवन देने वाली और सकारात्मक क्रिया मानी जाती है और इसलिए यह पवित्र और शुद्ध रहे इसलिए यह दक्षिण दिशा की बजाय पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में रखा जाना शुभ माना जाता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन न बिगड़े।

2. वास्तु शास्त्र के अनुसार:

वास्तु शास्त्र में यह कहा गया है कि रसोई का गैस स्टोव पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे रसोई में ऊर्जा का सही प्रवाह होता है, जो घर के सदस्यों की स्वास्थ्य और समृद्धि लाने में सहायक होती है। दक्षिण दिशा में चूल्हा रखने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो घर के सभी सदस्यों के लिए अशुभ मानी जाती है।

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3. प्राकृतिक ऊर्जा:

पूर्व दिशा को सूर्य की दिशा माना जाता है, जो ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत है। इस दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाने से भोजन और खाना बनाने वाले को सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। जबकि दक्षिण दिशा को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और इसलिए यहां चूल्हा रखने और इस दिशा में चूल्हा का मुख रखकर खाने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है।

4. नकारात्मक प्रभाव:

कुछ मान्यताओं के अनुसार, दक्षिण दिशा की ओर चूल्हा रखने से घर में झगड़े, स्वास्थ्य का बिगड़ना और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। यह दिशा जीवन की सकारात्मक ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ सकती है और इसलिए इस दिशा को शास्त्रों भोजन बनाने जैसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए सही नहीं माना गया है।

दक्षिण दिशा के अलावा इन जगहों पर न रखें गैस चूल्हा

वास्तु एक्सपर्ट के अनुसार गैस स्टोव को जल तत्व के पास नहीं रखना चाहिए। गैस स्टोव को अग्नि तत्व से जोड़ा गया है, इसलिए इसे पानी से संबंधित चीज जैसे सिंक, पानी भरने वाला मटका, फ्रिज, वाटर प्यूरीफायर, जैसी अन्य पानी वाले चीजों के पास नहीं रखना चाहिए। यह तो हम सभी को पता है कि जल और अग्नि दोनों एक दूसरे के परस्पर विरोधी तत्व है, और इन दोनों को जब एक दूसरे के करीब रखा जाए, तो इसका बुरा प्रभाव घर के सदस्यों पर पड़ता है, जैसे घर में कलह-क्लेश होना, स्वास्थ्य खराब होना, नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होना और घर की तरक्की का प्रभावित होना जैसी ये समस्याएं होने लगती है।

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