सार
पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली शूटर मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने राष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ की बदलती चयन नीति की आलोचना की है। राणा ने कहा कि बार-बार बदलती नीति से भविष्य में खेल प्रतिभाओं को नुकसान हो रहा।
Jaspal Rana slams Olympic Selection process: पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली शूटर मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने नेशनल ओलंपिक फेडरेशन की हमेशा बदलती चयन नीति की आलोचना की है। राणा ने कहा कि राष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ की हमेशा बदलती ओलंपिक चयन नीति ने अतीत के तमाम होनहार प्रतिभाओं को नुकसान पहुंचाया। अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो भविष्य में भी खेल प्रतिभाओं को नुकसान पहुंचेगा।
एशियन गेम्स में शूटिंग में तीन गोल्ड जीतने वाले जसपाल राणा ने कहा कि महासंघ की चयन नीति हर छह महीने में बदलती है। मैंने खेल मंत्री से मुलाकात की और उनसे कहा कि महासंघ जो बार बार चयन नीति बना रहा उस पर रोक लगाई जाए। एक बार चयन नीति बने। जो भी सही या गलत है उसी पर कायम रहें। स्थिर खेल नीति का प्रभाव निशानेबाजों के प्रदर्शन में दिखेगा।
क्यों प्रतिभाशाली शूटर गायब हो जाते?
राणा ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र निशानेबाज सौरभ चौधरी और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पिस्टल निशानेबाज जीतू राय जैसे कई प्रतिभाशाली निशानेबाज कुछ ही वर्षों में गायब हो गए जबकि उनके लिए ओलंपिक में तमाम संभावनाएं थी। लेकिन सिस्टम ने इन सभी प्रतिभाओं को विफल कर दिया।
जसपाल राणा ने कहा: सौरभ चौधरी कहां हैं, एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पिस्टल शूटर जीतू राय कहां हैं? क्या कोई उनके बारे में बात करता है? नहीं। क्या हम 10 मीटर एयर राइफल शूटर अर्जुन बाबूता के बारे में बात कर रहे हैं, जो पेरिस में चौथे स्थान पर रहे? वह पदक से थोड़ा चूक गया। कोई भी यह नहीं सोच रहा है कि उसे फिर से मंच पर कैसे लाया जाए।
खिलाड़ियों को सिक्योर करने का कोई सिस्टम नहीं
राणा ने कहा कि वह बदलाव के खिलाफ नहीं हैं लेकिन ओलंपिक चक्र के दौरान अधिक स्थिरता चाहते हैं। वर्तमान में ओलंपिक और विश्व पदक विजेताओं की सुरक्षा के लिए कोई तंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि भाकर को पेरिस में दो पदक जीतने के बावजूद तीन महीने के ब्रेक से लौटने के बाद राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना होगा। गोल्ड मेडलिस्ट वेटरन शूटर ने कहा कि सभी ओलंपिक पदक विजेता, हम उन्हें एक या दो ओलंपिक के बाद नहीं देखते हैं क्योंकि ऐसी कोई प्रणाली नहीं है जिसके द्वारा हम उन्हें सिक्योर कर सकें। टीम का चयन राष्ट्रीय स्तर से किया जाता है।
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