सार
स्पोर्ट्स डेस्क: पेरिस ओलंपिक 2024 में गुरुवार को पुरुषों के भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। दरअसल, नीरज चोपड़ा ने फाइनल में अपने सीजन का बेस्ट 89.45 मी. थ्रो किया, लेकिन पाकिस्तान एथलीट अरशद नदीम के विशाल थ्रो ने उन्हें गोल्ड मेडल दिलाया। जिन्होंने 92.97 मीटर दूर भाला फेंका, जिसके चलते अरशद नदीम को गोल्ड, वहीं नीरज चोपड़ा को सिल्वर मेडल मिला। उनकी जीत पर उनके परिवार का क्या कहना है आइए हम आपको बताते हैं...
नीरज की जीत के बाद घर के आसपास बांटी गई मिठाइयां
बता दें कि जैवलिन थ्रो का फाइनल मुकाबला देखने के लिए नीरज चोपड़ा के घर के बाजू में एक बड़ा सा स्क्रीन लगा हुआ था। जहां पर बड़ी संख्या में लोग उनका मैच देखने पहुंचे थे। उनकी जीत के बाद लोगों में मिठाइयां बांटी गई और पेरिस ओलंपिक में भारत के पहले सिल्वर और कुल पांच मेडल का जश्न मनाने के लिए पटाखे भी फोड़े गए।
नीरज की जीत पर क्या बोले पिता सतीश चोपड़ा
नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा उनके प्रदर्शन को देखने के बाद गर्व महसूस कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि यह पुरुषों की भाला फेंक फाइनल में पाकिस्तान का दिन था। लेकिन पेरिस में नीरज की सफलता अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी। सतीश कुमार ने मीडिया से कहा- उन्होंने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता हैं। हम खुश और गौरवान्वित हैं, सभी युवा उनसे प्रेरित होंगे।
नीरज के लिए फेवरेट खाना बनाएंगी मां सरोज
वहीं, नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी अपने बेटे के प्रदर्शन से बहुत खुश नजर आईं। उन्होंने कहा- वह अपने बेटे का पसंदीदा खाना बनाने के लिए उत्सुक हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा- हम बहुत खुश हैं हमारे लिए चांदी भी सोने के बराबर है। जिसे सोना मिला वह भी हमारे बेटे जैसा हैं। वह (नीरज) चोटिल थे, इसलिए हम उनके प्रदर्शन से खुश हैं। मैं उनका पसंदीदा खाना बनाऊंगी।
नीरज चोपड़ा की परफॉर्मेंस पर दादा धर्म सिंह चोपड़ा का रिएक्शन
दूसरी तरफ नीरज चोपड़ा के दादाजी धर्म सिंह चोपड़ा ने अपने पोते की जीत पर कहा- उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया और सिल्वर मेडल जीता। देश के लिए एक और पदक जोड़ा। बता दें कि जैवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा ने 89.45 मी का थ्रो किया। यह उनके इस सीजन का बेस्ट थ्रो है। इससे पहले नीरज चोपड़ा को साल 2023 में कमर की चोट से जूझना पड़ा था, जिसके कारण वह राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा भी नहीं बन पाए थे और मई की शुरुआत में ही वापस आना पड़ा था।
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