बिहार चुनाव 2025 के लिए जन सुराज ने भागलपुर से वकील अभयकांत झा को उम्मीदवार बनाया है। 74 वर्षीय झा 1989 दंगों में पीड़ितों के लिए मुफ्त केस लड़ने हेतु प्रसिद्ध हैं। पार्टी को उनकी न्यायप्रिय छवि और सामाजिक कार्यों पर भरोसा है।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी तेजी से चल रही है और राजनीतिक पार्टियां अपने मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही हैं। इसी कड़ी में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है, जिसमें भागलपुर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभयकांत झा का नाम शामिल है। 74 साल के अभयकांत झा न केवल शहर के जाने-माने सीनियर वकील हैं, बल्कि 1989 में हुए भागलपुर दंगों के दौरान मुस्लिम पीड़ितों के पक्ष में नि:शुल्क केस लड़ने के लिए वे व्यापक पहचान रखते हैं।
न्यायप्रिय वकील का राजनीतिक कदम
अभयकांत झा का नाम सुनते ही लोगों के मन में उनके न्यायप्रिय व्यक्तित्व की झलक आती है। सालों तक उन्होंने न्याय व्यवस्था में आम लोगों के लिए काम किया और सामाजिक सरोकारों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। भागलपुर के दंगों में 850 से अधिक मुस्लिम पीड़ितों के केस लड़कर उन्होंने यह साबित किया कि न्याय और इंसाफ के लिए कोई जाति या धर्म का भेदभाव नहीं होता। उस समय कई हिंदू संगठन उन्हें रोकने की कोशिश में थे, लेकिन उन्होंने पीड़ितों का साथ देना जारी रखा।
प्रशांत किशोर ने अभयकांत झा के बारे में कहा, “भागलपुर दंगे में पीड़ितों के पक्ष में खड़े होने वाले वकील अब राजनीतिक रणभूमि में उतर रहे हैं। उनके अनुभव और न्यायप्रिय सोच को देखते हुए यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि वे विधानसभा में विजयी हों। जो मुश्किल समय में आपके साथ खड़ा था, आज समय है कि आप उसके साथ खड़े रहें।”
सामाजिक कामों में सक्रिय
राजनीतिक मंच पर सक्रिय नहीं रहने के बावजूद अभयकांत झा ने हमेशा जनता के कामों में भाग लिया। शहर में उन्होंने कई शैक्षणिक, सामाजिक और न्याय से जुड़े कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनकी पत्नी उत्तमा देवी के साथ मिलकर वे अनेक जरूरतमंदों और दंगों में प्रभावित परिवारों की मदद करते रहे। इससे उनकी छवि न केवल न्यायप्रिय, बल्कि संवेदनशील और जनता के करीब रहने वाले नेता की बनी।
चुनावी रणभूमि की नई चुनौती
अभयकांत झा की राजनीति में एंट्री एक नए सियासी दौर की शुरुआत मानी जा रही है। जन सुराज ने उन्हें भागलपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। 74 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखना उनके लिए नई चुनौती है, लेकिन उनके अनुभव और सामाजिक सरोकार इसे आसान बनाने में मदद कर सकते हैं।
भागलपुर की जनता में उनकी न्यायप्रिय छवि और समाज के लिए किए गए कामों के कारण उन्हें व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह सीट मुस्लिम वोट बैंक के लिए महत्वपूर्ण है और अभयकांत झा की जीत या हार सीधे जन सुराज की पकड़ पर असर डाल सकती है।
प्रशांत किशोर का विश्वास
जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी हमेशा ऐसे उम्मीदवारों को मौका देती है जिन्होंने अपने जीवन में समाज के लिए सच्चाई और न्याय की राह अपनाई है। “अभयकांत झा ने भागलपुर के सबसे बड़े दंगे में नि:शुल्क केस लड़े और पीड़ितों को न्याय दिलाया। अब वह विधानसभा में जाकर उसी न्यायप्रियता को नए स्तर पर लागू करेंगे।”
न्यायप्रिय नेता की छवि
भागलपुर के नागरिक अभयकांत झा को न्यायप्रिय नेता के रूप में जानते हैं। उनके सामाजिक काम और पीड़ितों की मदद ने उन्हें जनता के दिलों में एक अलग स्थान दिलाया है। चुनाव के समय यह पहचान उनके पक्ष में काम कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी उम्र एक चुनौती जरूर है, लेकिन अनुभव और जनता के विश्वास से यह चुनौती कम हो सकती है।
