2025 के बलरामपुर विधानसभा चुनाव में, जनता ने कटिहार ज़िले की इस राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीट पर संगीता देवी को भारी जीत दिलाई। उन्हें 80,000 से ज़्यादा वोट मिले।
Balrampur Assembly Election 2025: बिहार के कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा सीट हमेशा से ही राजनीति का हॉटस्पॉट रही है। इस सीट पर जनता ने संगीता देवी को भारी मतो से विजय बनाया है। संगीता देवी को 80 हजार से ज्यादा वोट मिले।
2010 का करीबी चुनाव-निर्दलीय की जीत
साल 2010 में बलरामपुर विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक रहा। निर्दलीय उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी ने 48,136 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। जबकि CPI(ML)(L) के महबूब आलम को 45,432 वोट मिले और वे केवल 2,704 मतों से हार गए। यह नतीजा साबित करता है कि यहां का माहौल कभी भी बदल सकता है।
2015 का चुनाव -CPI(ML) की वापसी
2015 में महबूब आलम ने जोरदार वापसी की। उन्होंने 62,513 वोट पाकर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी प्रत्याशी वरुण कुमार झा को 42,094 वोट मिले। जीत का अंतर 20,419 वोट रहा। इस बार CPI(ML) ने अपना जनाधार और मजबूत किया।
2020 का एकतरफा मुकाबला
2020 का विधानसभा चुनाव बलरामपुर के इतिहास में सबसे अहम रहा। CPI(ML)(L) के महबूब आलम ने रिकॉर्ड 1,04,489 वोट हासिल किए और VIP प्रत्याशी वरुण कुमार झा को हराया। वरुण झा को सिर्फ 50,892 वोट मिले और हार का अंतर रहा 53,597 वोट। यह जीत महागठबंधन की लहर का बड़ा सबूत बनी।
खास बात: CPI(ML)(L) नेता महबूब आलम का जिस तरह से राजनीति में दबदबा हैं, वैसा ही रुआब आपराधिक जगत में भी है, तभी तो उन पर एक दर्जन से ज्यादा यानि 14 आपराधिक केस पेंडिंग हैं। महज 12वीं पास इस कम्युनिस्ट नेता की कुल संपत्ति 31.77 लाख रुपए हैं और इन पर 10 लाख रुपए की देनदारी भी बकाया है।
बलरामपुर विधानसभा प्रोफाइल
- कुल मतदाता (2020): 2,66,446
- पुरुष: 1,41,033
- महिला: 1,25,402
- जातीय समीकरण: मुस्लिम और यादव वोटर निर्णायक।
निर्वाचन क्षेत्र प्रोफाइल (Balrampur Constituency Profile)
- जिला: कटिहार
- क्षेत्र: बारसोई और बलरामपुर प्रखंड
- भौगोलिक स्थिति: महानंदा नदी से घिरा इलाका, बंगाल की सांस्कृतिक झलक स्पष्ट।
नोट: मुस्लिम-यादव गठजोड़ CPI(ML) को फायदा पहुंचा सकता है, जबकि NDA और अन्य दलों को यहां नई रणनीति बनानी होगी।
2025 में समीकरण क्या कह रहे हैं?
बलरामपुर सीट पर CPI(ML)(L) के महबूब आलम का दबदबा साफ है, लेकिन 2010 जैसे करीबी मुकाबले की संभावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, जो यह साबित करता है कि यहां जनता कभी भी अपना फैसला बदल सकती है। ऐसे में 2025 में विपक्षी दल पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है।
