सार
पटना न्यूज: बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) डीपी ओझा का निधन हो गया। डीजीपी रहने के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और सीवान के सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की नाक में दम करने वाले ओझा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे ओझा भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद पटना में रह रहे थे।
ओझा के खिलाफ निकला था गिरफ्तारी वारंट
बता दें कि चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले (आरसी 64/1996) में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार ने वर्ष 2017 में बिहार के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। कोर्ट ने सीबीआई के जांच अधिकारी को ओझा को गिरफ्तार कर सात फरवरी को कोर्ट में पेश करने को कहा था।
डीपी ओझा कोर्ट में नहीं हुए थे पेश
कोर्ट ने 23 दिसंबर को देवघर के तत्कालीन डीसी सुखदेव सिंह और डीपी ओझा को आरोपी बनाते हुए मामले की अलग-अलग सुनवाई शुरू करने का निर्देश दिया था। दोनों को कोर्ट में पेश होने को कहा गया। सुखदेव सिंह हाईकोर्ट गए, जहां से उन्हें राहत मिली। लेकिन डीपी ओझा कोर्ट में पेश नहीं हुए। हालांकि बाद में उन्हें इस मामले में राहत मिल गई। पूर्व डीजीपी डीपी ओझा का व्यक्तित्व पुलिस सेवा में रहते हुए भी राजनीति से जुड़ा रहा। वैचारिक रूप से वे वामपंथी विचारधारा के साथ थे। उनके पुलिस व्यक्तित्व को उस समय काफी प्रसिद्धि मिली, जब उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक नेता लालू प्रसाद की बात नहीं मानने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ मोर्चा खोला और उनके लिए जेल का दरवाजा खोल दिया।
ओझा 1967 बैच के थे आईपीएस
नतीजा यह हुआ कि लालू प्रसाद यादव से उनकी जो नजदीकियां थीं, वह भी टूट गईं और उन्हें लालू प्रसाद के कोप का सामना करना पड़ा। दो महीने पहले ही उन्हें डीजीपी पद से हटाया गया था। उस दौरान लालू यादव रैलियों में कहा करते थे कि हमने डीपी ओझा का बोझ बांध दिया है। ओझा 1967 बैच के आईपीएस थे और 1 फरवरी 2003 को उन्होंने डीजीपी का पदभार संभाला था। हालांकि शहाबुद्दीन प्रकरण से चर्चा में आए डीपी ओझा महत्वाकांक्षा की उड़ान थामे बेगूसराय से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और बुरी तरह हारे।
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