बिहार चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को CM उम्मीदवार घोषित किया है। मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया है। यह फैसला सहनी के दबाव के बाद हुआ, जिन्होंने 15 सीटों के बदले सम्मानजनक पद की मांग की थी।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की जीत पर तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का ऐलान तो हो गया, लेकिन इस घोषणा के साथ ही मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा भी किया गया है। कभी बॉलीवुड में सेट डिजाइनर रहे मुकेश सहनी ने यह पद ऐसे ही हासिल नहीं किया। यह ऐलान होटल मौर्या में हुई एक घंटे की उस हाई-वोल्टेज इमरजेंसी मीटिंग का नतीजा है, जिसने महागठबंधन के शीर्ष नेताओं को हिलाकर रख दिया था। सहनी की पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को गठबंधन में 15 सीटें मिली हैं, लेकिन सहनी ने सीटों से ज्यादा 'सम्मानजनक स्थान' को तरजीह दी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस से सहनी का इनकार

महागठबंधन ने पहले गुरुवार को सुबह 11:30 बजे संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। लेकिन प्रेस मीट शुरू होने से ठीक घंटे भर पहले, माहौल शांत हो गया। एक-एक करके नेता प्रेस मीट वाली जगह से गायब होने लगे। इस सन्नाटे के पीछे वजह थे मुकेश सहनी। सूत्रों के अनुसार, सहनी इसी होटल के एक सुइट में ठहरे थे, लेकिन उन्होंने प्रेस मीट में आने से साफ इनकार कर दिया। उनका संदेश गठबंधन के दलों तक स्पष्ट था कि उन्हें सम्मानजनक पद चाहिए, सिर्फ सीटों में हिस्सेदारी नहीं।

मैं अपने समर्थकों का सामना कैसे कर पाऊंगा?

सूत्र बताते हैं कि सहनी ने अपनी शर्त सामने रखी। 15 सीटों पर समझौता करने के बाद, सहनी के लिए यह पद सियासी मजबूरी बन चुका था। उनका तर्क था, "अगर यादव गठबंधन का चेहरा होंगे, तो मैं उनका डिप्टी बनूँगा। मैं 25 से कम सीटों पर इसलिए सहमत हुआ क्योंकि मुझे लगा था कि मुझे उप-मुख्यमंत्री का पद मिल जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं अपने समर्थकों के पास जाकर वोट कैसे माँग पाऊँगा?"

सहनी की इस मांग से गठबंधन के भीतर हड़कंप मच गया। चुनावी माहौल में मल्लाह समुदाय के वोटों को साधने वाले सहनी की नाराजगी का सीधा मतलब था एक बड़े वोट बैंक का छिटक जाना, जो महागठबंधन के लिए हार का खतरा पैदा कर सकता था।

गहलोत ने घुमाया दिल्ली फोन, मिली हरी झंडी

तेजस्वी यादव ने व्यक्तिगत रूप से सहनी को मनाने की कोशिश की, लेकिन सहनी इसके लिए तैयार नहीं हुए। माहौल नाजुक होते देख, कांग्रेस के 'जादूगर' कहे जाने वाले पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने मोर्चा संभाला और तुरंत दिल्ली फोन घुमाया।

सहनी की शर्त की गंभीरता को समझते हुए, कांग्रेस आलाकमान से उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए हरी झंडी दे दी गई। इसके बाद, नीचे प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार कर रहे वामपंथी नेता दीपांकर भट्टाचार्य को भी आपातकालीन बैठक में बुलाकर सहमति ली गई।

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस को एक घंटे के लिए टालना पड़ा और दोपहर बाद अशोक गहलोत ने मंच से औपचारिक घोषणा की कि सरकार बनने पर मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री होंगे, और जरूरत पड़ने पर अन्य वर्गों से भी डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं।

इस तरह, मुकेश सहनी ने अपने राजनीतिक कद को ऊँचा किया और यह साबित कर दिया कि बिहार की गठबंधन राजनीति में सीट संख्या से ज्यादा, समुदाय का प्रभाव और सही समय पर दबाव बनाना अधिक मायने रखता है। हालांकि, सहनी ने बाद में किसी भी तरह के दबाव डालने से इनकार किया और कहा कि यह बस घोषणा में देरी थी।