2025 के लौकहा विधानसभा चुनाव में मधुबनी ज़िले की इस सीट पर जदयू ने जीत हासिल की। ​​झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा होने के बावजूद, मतदाताओं ने स्पष्ट समर्थन दिया और प्रत्याशी को अपना नेता चुना। 

Laukaha Assembly Election 2025: लौकहा विधानसभा सीट (Laukaha Assembly Election 2025) मधुबनी जिले में आती है और झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इस सीट पर जेडीयू ने अपना नाम दर्ज करा लिया है। जनता ने उन्हें अपना नेता माना है।

जातीय और धार्मिक समीकरण

लौकहा विधानसभा में यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, दलित और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आंकड़ों के अनुसार – अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 38,902 (11.38%), मुस्लिम मतदाता लगभग 53,328 (15.6%), और कुल ग्रामीण मतदाता लगभग 3.41 लाख हैं। यही समीकरण हर चुनाव में परिणाम तय करते हैं।

2010 का लौकहा विधानसभा चुनाव

2010 में जेडीयू प्रत्याशी हरि प्रसाद साह ने राजद के चितरंजन यादव को हराया। हरि प्रसाद को 47,849 वोट, जबकि चितरंजन यादव को 30,283 वोट मिले। इस चुनाव में जेडीयू का गढ़ मजबूत दिखा।

2015 का लौकहा विधानसभा चुनाव 

2015 में जेडीयू के लक्ष्मेश्वर राय ने जीत दर्ज की। उन्हें 79,971 वोट मिले। वहीं बीजेपी समर्थित उम्मीदवार प्रमोद कुमार प्रियदर्शी को 56,138 वोट मिले। यह चुनाव पूरी तरह महागठबंधन की लहर पर आधारित था।

2020 का लौकहा विधानसभा चुनाव

2020 में बाजी पलट गई और राजद ने यहां कब्जा कर लिया। भरत भूषण मंडल (RJD) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 78,523 वोट पाकर जेडीयू के लक्ष्मेश्वर राय को हराया। राय को 68,446 वोट मिले। जीत का अंतर लगभग 10,077 वोट था।

शिक्षा, संपत्ति और आपराधिक रिकॉर्ड

इस क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अक्सर ऊंची शिक्षा और करोड़ों की संपत्ति वाले होते हैं। हालांकि, कुछ प्रत्याशियों पर आपराधिक रिकॉर्ड भी दर्ज रहे हैं। मतदाता इन मामलों को गंभीरता से देखते हैं। आरजेडी नेता भारती भूषण मंडल की बात करें तो वह पोस्टग्रेजुएट हैं। उन पर कोई केस नहीं है। उनकी कुल संपत्ति दो करोड़ से ज्यादा है और उन पर कोई कर्जा भी नहीं है।

2025 में लौकहा विधानसभा चुनाव की जंग

अब सवाल है कि 2025 में लौकहा का ताज किसके सिर सजेगा? क्या राजद के भरत भूषण मंडल अपनी पकड़ बरकरार रख पाएंगे या जेडीयू फिर से वापसी करेगी? भाजपा और अन्य दलों की रणनीति भी तस्वीर बदल सकती है। जातीय समीकरण, बेरोजगारी और शिक्षा का मुद्दा इस चुनाव में निर्णायक रहेगा।