मांझी विधानसभा चुनाव 2025 में इस ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से दिलचस्प सीट पर एक बार फिर बदलाव देखने को मिला। इस बार रणधीर कुमार सिंह विजयी रहे। मतदाताओं ने नया नेतृत्व चुनते हुए उन्हें समर्थन दिया और मांझी सीट पर सत्ता परिवर्तन दर्ज हुआ।

Manjhi Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में मांझी विधानसभा (Manjhi Assembly Election 2025) सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। एक बार फिर इस सीट ने अपना नेता बदल दिया है। 2025 में रणधीर कुमार सिंह ने हासिल की जीत।

2010 का चुनाव: जदयू की लहर

2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार गौतम सिंह ने 28,687 वोट पाकर जीत हासिल की थी। RJD के हेम नारायण सिंह को 20,783 वोट मिले। नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की लहर का बड़ा फायदा मांझी सीट पर जदयू को मिला।

2015 का चुनाव: कांग्रेस की अप्रत्याशित वापसी

2015 में महागठबंधन का फायदा कांग्रेस को मिला। विजय शंकर दुबे (INC) ने 29,558 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। उन्होंने लोजपा प्रत्याशी केशव सिंह को लगभग 9,000 वोटों से हराया। यह चुनाव यादव–मुस्लिम वोट बैंक की मजबूती का उदाहरण बना।

2020 का चुनाव: CPI(M) का सरप्राइज

2020 में CPI(M) के डॉ. सत्येंद्र यादव ने 59,324 वोट पाकर सभी को चौंका दिया। निर्दलीय उम्मीदवार राणा प्रताप सिंह को 33,938 वोट मिले जबकि जदयू की माधवी कुमारी 29,155 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। यह चुनाव बताता है कि मांझी की जनता समय–समय पर नया प्रयोग करने में पीछे नहीं रहती।

जातीय समीकरण और वोटिंग पैटर्न

मांझी विधानसभा सीट पर यादव, सवर्ण और अति पिछड़े वर्ग की निर्णायक भूमिका रहती है। यादव वोटरों का झुकाव पारंपरिक रूप से RJD की ओर रहा है। वहीं भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत समुदाय BJP के पक्के वोट बैंक माने जाते हैं। मुस्लिम मतदाता (लगभग 10%) आम तौर पर महागठबंधन को समर्थन देते हैं। यही समीकरण हर चुनाव में परिणाम तय करते हैं।

मांझी विधानसभा चुनाव 2025 के स्थानीय मुद्दे

मांझी क्षेत्र गंगा किनारे स्थित है और यहां बाढ़ व कटाव हमेशा बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। मांझी-रेवती घाट पुल की मांग लंबे समय से अधूरी है। इसके अलावा सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन की समस्या भी यहां के मतदाताओं को प्रभावित करती रही है।

मांझी विधानसभा चुनाव 2025 का मुकाबला

मांझी विधानसभा चुनाव 2025 (Manjhi Vidhan Sabha Election 2025) में इस बार BJP और RJD के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। RJD यादव–मुस्लिम समीकरण पर भरोसा कर रही है, जबकि BJP सवर्ण और अति पिछड़े वर्ग को एकजुट करने की रणनीति बना रही है। CPI(M) भी अपनी पिछली जीत को दोहराने की कोशिश करेगी। मांझी सीट का इतिहास बताता है कि यहां का चुनावी रण हमेशा अप्रत्याशित और रहस्यमयी रहा है। 2025 में भी यही सवाल सबसे बड़ा है कि क्या जनता फिर बदलाव चाहती है या अनुभव पर भरोसा करेगी?