2025 के मसौढ़ी विधानसभा चुनाव में जदयू ने वापसी की है। पटना जिले की इस महत्वपूर्ण सीट पर अरुण मांझी ने एक लाख से ज़्यादा वोट हासिल कर जीत हासिल की है। मतदाताओं ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया और जदयू को मज़बूत समर्थन देकर यह सीट सुरक्षित कर ली।

Masaurhi Assembly Election 2025: बिहार की मसौढ़ी विधानसभा सीट (Masaurhi Vidhan Sabha Seat) पटना जिले की एक अहम राजनीतिक सीट है। इस सीट पर जेडीयू की वापसी हुई है। अरुण मांझी पर जनता ने एक बार फिर भरोसा जताया है। 1लाख अधिक वोट मिले।

2020 का चुनाव: क्या रेखा देवी की छवि बनी गेमचेंजर?

2020 मसौढ़ी विधानसभा चुनाव (Masaurhi Assembly Election 2020) में आरजेडी की रेखा देवी ने जेडीयू की नूतन पासवान को 32,227 वोटों से हराया। रेखा देवी को 98,696 वोट मिले, जबकि नूतन पासवान को 66,469 वोट मिले। यादव और मुस्लिम वोटरों का भारी समर्थन आरजेडी के पक्ष में गया। क्या इस बार भी वही जातीय समीकरण दोहराया जाएगा?

2015 का चुनाव: क्या महागठबंधन ने दिलाई थी बड़ी जीत?

2015 में भी रेखा देवी ने मसौढ़ी सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने नूतन पासवान को 39,186 वोटों से हराया। तब महागठबंधन (RJD-JDU-Congress) का असर पूरे बिहार में दिख रहा था। रेखा देवी की छवि और महागठबंधन की मजबूती ने उन्हें भारी जीत दिलाई। सवाल है कि 2025 में अगर महागठबंधन में दरार पड़ी, तो क्या यह सीट आरजेडी के हाथ से निकल सकती है?

2010 का चुनाव: नीतीश कुमार के विकास मॉडल ने पलटा खेल?

2010 में इस सीट पर जेडीयू प्रत्याशी अरुण मांझी ने एलजेपी (LJP) के अनिल कुमार को हराया। अरुण मांझी को 56,977 वोट, जबकि अनिल कुमार को 51,945 वोट मिले। नीतीश कुमार के सुशासन और विकास मॉडल ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई थी। सवाल यह है कि क्या जेडीयू 2025 में फिर से उसी रणनीति के सहारे वापसी कर पाएगी?

जातीय समीकरण: यादव-मुस्लिम वोटर क्या करेंगे निर्णायक भूमिका?

मसौढ़ी सीट पर यादव और मुस्लिम वोटर निर्णायक माने जाते हैं। यही वजह है कि आरजेडी को लगातार दो बार जीत मिली। पासवान और महादलित वोटरों का झुकाव भी चुनाव परिणाम पर असर डालता है। क्या इस बार जातीय समीकरण फिर से आरजेडी के पक्ष में जाएंगे या जेडीयू नया गेम प्लान लाएगी?

2025 का चुनावी सवाल

अब 2025 का चुनाव इस सीट पर बेहद अहम है। क्या रेखा देवी की तीसरी जीत होगी, या जेडीयू-बीजेपी गठबंधन मिलकर सत्ता की बाज़ी पलट देंगे? मसौढ़ी की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनेगी, यह रहस्य अब धीरे-धीरे खुलने लगा है।