प्रशांत किशोर ने डिप्टी CM सम्राट चौधरी को 'उम्र चोर' कहा। जवाब में, BJP ने किशोर के सहयोगी उदय सिंह पर चुनावी हलफनामों में उम्र छिपाने का आरोप लगाया। इस आरोप-प्रत्यारोप ने बिहार चुनाव से पहले 'उम्र घोटाले' पर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज़ होता जा रहा है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बीजेपी और उसके नेताओं पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर आरोप लगाया कि उन्होंने 1995 के एक हत्या मामले में खुद को नाबालिग साबित करने के लिए दस्तावेज़ों में गलत उम्र दर्ज करवाई थी। किशोर ने कहा कि सम्राट चौधरी “उम्र चोर” हैं और इस सच को बिहार की जनता के सामने आना चाहिए।

बीजेपी का पलटवार

प्रशांत किशोर के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ा पलटवार किया है। बीजेपी के मीडिया प्रमुख दानिश इकबाल ने मंगलवार को कहा, "पीके रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सम्राट चौधरी को उम्र चोर बताते हैं, लेकिन जब वे यह आरोप लगा रहे थे तो उनके बगल में बैठे थे उदय सिंह उर्फ पप्पू, जो खुद बिहार के सबसे बड़े उम्र चोर हैं।"

दानिश इकबाल ने आरोप लगाया कि उदय सिंह ने अलग-अलग चुनावी हलफनामों और दस्तावेज़ों में अपनी जन्मतिथि अलग-अलग बताई है। उन्होंने फ़ेसबुक पर इसकी तस्वीर भी शेयर की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “2004 के लोकसभा चुनाव में पप्पू सिंह की उम्र 44 साल थी, और 2009 में वही 57 हो गई। यानी 5 साल में 13 साल बड़े हो गए। ये कौन सा शिलाजीत खाए थे?”

इलेक्शन कमीशन को करना चाहिए कार्रवाई

बीजेपी प्रवक्ता ने यहां तक कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग को दखल देना चाहिए और उदय सिंह के खिलाफ जांच कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को भी जवाब देना चाहिए कि आखिर उनकी पार्टी का अध्यक्ष उम्र में इतना हेरफेर क्यों करता है।

‘उम्र घोटाला’ बनाम ‘भ्रष्टाचार घोटाला’

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर बीते कई दिनों से लगातार बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और अन्य बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार और दस्तावेज़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाते रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने पलटवार करते हुए “उम्र घोटाले” का मुद्दा उठाकर पीके और उनकी पार्टी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।

चुनावी समर में नया मुद्दा

बिहार की राजनीति में अब तक भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और जातिगत समीकरण ही बड़े चुनावी मुद्दे रहे हैं। लेकिन इस बार नेताओं की ‘उम्र’ भी बहस का केंद्र बनती नज़र आ रही है। अब देखना यह होगा कि प्रशांत किशोर और बीजेपी के बीच शुरू हुई यह ‘उम्र जंग’ चुनावी मैदान में कितना असर डालती है।