सार

IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के तीन दशक पुराने मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का मामला लगातार तूल पकड़ा हुआ है।  इस मामले में 8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

पटना. IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के तीन दशक पुराने मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का मामला लगातार तूल पकड़ा हुआ है। कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने बाहुबली नेता के खिलाफ 'हथियार' नहीं डालने का पहले ही ऐलान कर दिया था। इस मामले में 8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही रिहाई से जुड़ा रिकॉर्ड भी पेश करने को कहा है। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आईएएस एसोसिएशन की इस लड़ाई में आईआरएस एसोसिएशन का भी साथ मिला है।

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन मामल में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को 26 अन्य लोगों के साथ जेल से रिहा किया गया था। इसके खिलाफ DM जी कृष्णैया की की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। 29 अप्रैल को DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने इस रिहाई को चुनौती दी थी। इसमें आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गई है। उमा देवी ने उम्मीद जताई कि यह उनके लिए अच्छा संकेत है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फैसला वापस लेने की निर्देश देगी।

ऐसे जेल से छूटे बाहुबली आनंद मोहन

बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव करके आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ किया था। आनंद मोहन सिंह को 27 अप्रैल की सुबह 6.15 बजे सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था। आनंद मोहन को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यानी उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। 

हालांकि आनंद मोहन ने यह सजा पूरी कर ली थी, लेकिन जेल मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को आजीवन कैद में रहना पड़ता है। लेकिन 10 अप्रैल 2023 को बिहार सरकार ने जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटाकर आनंद मोहन की रिहाई को आसान कर दिया था।

आनंद मोहन सिंह और IAS कृष्णैया हत्याकांड की कहानी

1994 में मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा IAS कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के एक दशक से भी अधिक समय बाद 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराया गया था।

1985 बैच के एक IAS अधिकारी कृष्णैया तेलंगाना के रहने वाले थे और एक दलित थे।गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा को कृष्णैया की कार ने ओवरटेक करने की कोशिश की थी। इसके बाद भीड़ उन पर टूट पड़ी थी।

तब मोहन सिंह सहरसा जिले के महिषी से विधायक थे। वे भूमिहार समुदाय के खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या का शोक मनाने के लिए मुजफ्फरपुर आए थे।

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