रायपुर, छत्तीसगढ़. कहते हैं कि मां-बाप के बाद शिक्षक ही बच्चों का भविष्य बेहतर बनाकर एक अच्छे देश और समाज का निर्माण करते हैं। यह और बात है कि इसके लिए मां-बाप और शिक्षकों को बड़े कष्ट उठाने पड़ते हैं। आज भी गांवों के सरकारी स्कूलों की हालत अच्छी नहीं है। भवनों या अन्य सुविधाओं की बात छोड़ दीजिए, वहां तक पहुंचना भी शिक्षकों के लिए एडवेंचर से कम नहीं होता। स्कूल तक सड़क नहीं, कहीं नदी-नाले या जंगल पार करने पड़ते हैं। लेकिन कई शिक्षक ऐसे हैं, जो इन सारी बाधाओं को पार करके बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक हैं बीरबल सिंह। ये कवर्धा जिले के पंडरिया तहसील के तहत आने वाले बिरेनबाह गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। इस स्कूल तक पहुंचने के लिए बीरबल को खराब सड़क और बरसाती नदी पार करनी पड़ती है। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपए में यह घोड़ा खरीद लिया। अब वे रोज 5 किमी इसी घोड़े से स्कूल जाते हैं। टीचर्स-डे(5 सितंबर) पर पढ़िए बीरबल के अलावा ऐसे ही शिक्षकों के बारे में...