हादसे की सूचना पाकर कृष्णा के परिजन लखनऊ पहुंचे। कृष्णा के भाई राजकुमार ने कहा कि कृष्णा के पास कोई काम नहीं था। उसके पास बचत के पैसे थे, जो बीते दिनों खर्च हो चुके थे। राजकुमार के पास भी आर्थिक तंगी के चलते शवों के अंतिम संस्कार का पैसा नहीं था, तब कुछ मजदूरों ने चंदा करके 15 हज़ार रुपये जुटाए, जिसके बाद गुलाला घाट पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।