Delhi Horror: कालकाजी के एक बंद घर में मां और दो बेटों की लाशें फंदे से लटकी मिलीं। मौके से मिला डिप्रेशन नोट कई सवाल छोड़ गया है। क्या यह सिर्फ आत्महत्या है या किसी दबे हुए राज की परतें अब खुलेंगी? पुलिस हर एंगल से जांच में जुटी है।

नई दिल्ली। दिल्ली के कालकाजी इलाके से सामने आई यह घटना पूरे शहर को झकझोर देने वाली है। एक शांत कॉलोनी में रहने वाला कपूर परिवार अचानक सुर्खियों में आ गया, जब एक ही घर के अंदर मां और उसके दो बेटों के शव फंदे से लटके मिले। यह कोई आम हादसा नहीं था, बल्कि एक ऐसा मंजर था जिसने पुलिस से लेकर पड़ोसियों तक को सन्न कर दिया।

कालकाजी के घर में क्या हुआ था?

यह घटना शुक्रवार दोपहर की है। पुलिस को दोपहर करीब 2:47 बजे सूचना मिली कि कालकाजी के हाउस नंबर G-70B में कुछ गड़बड़ है। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो घर के अंदर का नज़ारा बेहद डरावना था। घर में रहने वाली 52 साल की अनुराधा कपूर और उनके दो बेटे—आशीष कपूर (32) और चैतन्य कपूर (27)—तीनों पंखे से लटके हुए पाए गए।

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कोर्ट बेलिफ के पहुंचते ही खुला मौत का राज

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब कोर्ट का एक बेलिफ लोकल पुलिस के साथ उस घर पर पहुंचा। बेलिफ को वहां पज़ेशन ऑर्डर पर अमल करना था। काफी देर तक दरवाज़ा खटखटाया गया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। आखिरकार अधिकारियों ने डुप्लीकेट चाबी से दरवाज़ा खोला। जैसे ही दरवाज़ा खुला, अंदर का मंजर देखकर सभी के होश उड़ गए।

सुसाइड नोट में दर्ज दर्द की एक-एक दांस्ता

पुलिस को मौके से एक नोट भी मिला है। शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि पूरा परिवार लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहा था। नोट में लिखी बातों से यही संकेत मिलते हैं कि मानसिक तनाव की वजह से ही परिवार ने यह खौफनाक कदम उठाया। हालांकि पुलिस अभी नोट की हस्तलिपि और कंटेंट की पूरी जांच कर रही है, ताकि किसी भी तरह की सच्चाई छूट न जाए।

पुलिस जांच में अब तक क्या सामने आया? BNSS की धारा में दर्ज हुआ मामला

दिल्ली पुलिस का कहना है कि फिलहाल किसी तरह की साजिश या बाहरी हस्तक्षेप के संकेत नहीं मिले हैं। मामले को संदिग्ध आत्महत्या मानकर जांच की जा रही है, लेकिन हर एंगल से पड़ताल जारी है। पुलिस ने बताया कि शवों को AIIMS की मॉर्चरी में रखवा दिया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद मौत की वजह पूरी तरह स्पष्ट होगी। नोट में लिखी बातों को वेरिफाई किया जा रहा है। पुलिस ने इस केस में भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 194 के तहत आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। यह धारा संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से जुड़ी जांच के लिए लगाई जाती है।

पड़ोसियों में सन्नाटा, कई सवालों के जवाब बाकी

इस घटना के बाद से पूरी कॉलोनी में सन्नाटा पसरा हुआ है। पड़ोसियों का कहना है कि कपूर परिवार ज़्यादा लोगों से घुलता-मिलता नहीं था, लेकिन ऐसा कदम उठाने की किसी को उम्मीद नहीं थी। तो क्या डिप्रेशन इतना गहरा था कि एक मां और उसके दो बेटे जिंदगी छोड़ने पर मजबूर हो गए? या फिर कोई ऐसा दर्द था, जो बाहर कभी दिखाई ही नहीं दिया?

आगे क्या होने वाला है?

पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद तस्वीर साफ होगी। सुसाइड नोट की पूरी जांच की जाएगी। परिवार के रिश्तेदारों से पूछताछ की जा रही है। तब तक यह मामला सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक खामोश चीख बन चुका है-जो समाज में बढ़ते मानसिक तनाव की ओर इशारा करता है।

Disclaimer: आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। अगर आपके मन में भी सुसाइड या खुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हैं तो आप फौरन घर-परिवार, दोस्तों और साइकेट्रिस्ट की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप इन हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करके भी मदद मांग सकते हैं। आसरा (मुंबई) 022-27546669, सुमैत्री (दिल्ली) 011-23389090, रोशनी (हैदराबाद) 040-66202000, लाइफलाइन 033-64643267 (कोलकाता)। स्पंदन (मध्य प्रदेश) 9630899002, 7389366696, संजीवनी: 0761-2626622, TeleMANAS 1-8008914416/14416, जीवन आधार: 1800-233-1250.

वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ: 9999666555 , ISS iCall: 022-25521111, मानसिक तनाव होने पर काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर 14416 और 1800 8914416 पर संपर्क कर घर बैठे मदद पा सकते हैं।