सार

हरियाणा विधानसभा चुनावों में पहलवान विनेश फोगाट के उतरने की चर्चाओं ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। किसान आंदोलन और बृज भूषण प्रकरण से भाजपा की चुनौती बढ़ गई है। 

नई दिल्ली। 5 अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) हैं। इस बार राज्य की राजनीति कई वजहों से ज्यादा गरम है। सत्ता विरोधी भावनाओं को किसानों और पहलवानों के विरोध प्रदर्शन से हवा मिल रही है। सरकारी कर्मचारियों में भी नाराजगी है। दूसरी ओर जाट समुदाय भी इस बार अलग रुख अपनाने की ओर बढ़ता दिख रहा है। इस बीच पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के राजनीति में आने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि वह गेम चेंजर बन सकती हैं।

विनेश फोगाट किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं हैं। उनके राज्य की राजनीति में उतरने की चर्चाएं हैं। अगर वह राजनीति में आती हैं तो इससे WFI (Wrestling Federation of India) के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रहे मामले की चर्चा तेज होगी। बृज भूषण महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी हैं। इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने पहलवानों के मुद्दे को भुनाया है। इसे 2024 के लोकसभा चुनावों में जिंदा रखा। हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी इस मुद्दे का असर होने की संभावना है। विपक्षी दल इसके लिए पूरी जतन कर रहे हैं।

29 साल की विनेश फोगाट शनिवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि वह किसानों के साथ हैं। विनेश ने 27 अगस्त को जींद में खाप पंचायतों से मुलाकात की थी। इस दौरान कहा था कि उन पर राजनीति में शामिल होने का दबाव है।

क्या राजनीति में उतरने को तैयार हैं विनेश फोगाट?

विनेश फोगाट के लिए राजनीति नई चीज नहीं है। वह राजनीतिक बैकग्राउंड वाले परिवार से आती हैं। उनकी चचेरी बहन बबीता फोगट ने 2019 में दादरी सीट से भाजपा के टिकट पर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं थीं।

बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में विनेश फोगाट आगे थीं। माना जाता है कि विनेश का झुकाव कांग्रेस की ओर है। सूत्रों के अनुसार विनेश फोगाट चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं तो वह दादरी सीट से बबीता के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं।

साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया समेत कई पहलवानों ने बीते साल बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। यह मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान खूब गूंजा था। अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी यह अहम मुद्दा बनता जा रहा है।

भाजपा से नाराज है जाट समाज

लोकसभा चुनाव के दौरान जाट समुदाय और किसानों ने भाजपा के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर किया है। इसका फायदा कांग्रेस को मिला। कांग्रेस फिलहाल ग्रामीण इलाकों में आगे दिख रही है। हरियाणा में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी भावना सिर्फ जाटों और किसानों तक ही सीमित नहीं है। माना जाता है कि पहलवान और सरपंच भी राज्य सरकार से खुश नहीं हैं। 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक भी जाट नेता को शामिल नहीं किया। 2014 के बाद से जाट समाज से किसी को भी मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

कांग्रेस में है विनेश फोगाट का स्वागत: भूपेंद्र हुड्डा

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि अगर विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल होती हैं तो उनका स्वागत है। विनेश फोगट ने जींद, रोहतक और शंभू बॉर्डर पर खाप पंचायतों और किसानों से मुलाकात की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और पार्टी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को विनेश के साथ पेरिस से घर लौटते समय देखा गया था।

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