सार
Protesting Farmers In Haryanas Kurukshetra: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे को जाम कर दिया है। सूरजमुखी बीज पर एमएसपी की मांग को लेकर किसानों ने यह विरोध प्रदर्शन शुरु किया है।
Protesting Farmers In Haryanas Kurukshetra: सूरजमुखी के बीज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व अन्य डिमांड्स को लेकर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों ने एक बार फिर दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे को जाम कर दिया है। एहतियात के तौर पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
पहले भी कुरुक्षेत्र में दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम कर चुके हैं किसान
जानकारी के अनुसार, किसानों की काफी समय से सूरजमुखी के बीज पर एमएसपी की मांग थी। इसको लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बीती 6 जून को भी प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क जाम कर दिया था। तब किसान प्रतिनिधियों से सरकार की बात हुई थी। दो बार किसानों से प्रशासन की बात होने के बाद भी बात नहीं बनी तो किसानों ने सोमवार को महापंचायत के बाद सड़क जाम करने का फैसला लिया। किसान आरोप लगा रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।
महापंचायत के बाद प्रदर्शन का फैसला
कुरुक्षेत्र जिले के पिपली में सोमवार को महापंचायत बुलाई गई। उसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। ‘एमएसपी दिलाओ, किसान बचाओ महापंचायत’ पिपली स्थित एक अनाज मंडी में हुई। बीते 6 जून को किसानों ने सूरजमुखी के बीच एमएसपी पर खरीदने की मांग को लेकर रोड जाम कर दिया था। उस समय स्थिति पर काबू के लिए पुलिसकर्मियों ने लाठी चार्ज किया था। किसान हालिया शाहाबाद में अरेस्ट किए गए प्रदर्शनकारियों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं। खबरों के अनुसार, महापंचायत के बाद किसान दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम करने के लिए कूच कर गए। किसानों में इस बात को लेकर भी आक्रोश है कि उन्हें रोकने के लिए पूर्व में बल प्रयोग किया गया था।
किसानों की ये है मांग
प्रदर्शनकारी किसानों की अगुवाई हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरमान सिंह कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को एमएसपी पर सूरजमुखी के बीज नहीं खरीदने के फैसले को वापस लेना चाहिए। किसान भरपाई योजना के तहत फसल को शामिल करने के फैसले के भी खिलाफ हैं। किसानों की मांग है कि राज्य सरकार द्वारा सूरजमुखी को 6,400 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर खरीदा जाए।
क्या है हरियाणा में किसानों के प्रदर्शन की वजह?
हरियाणा सरकार ने रेटों में फर्क की भरपाई योजना (भावांतर) के तहत सूरजमुखी खरीदने का ऐलान किया था। योजना के मुताबिक, सरकार बाजार दर पर खरीद में हुए नुकसान की भरपाई करती है। उधर, किसान सूरजमुखी को MSP पर खरीद की मांग पर अड़े हुए हैं। इसको लेकर किसानों और सरकार के बीच बातचीत भी हुई, जो असफल रही। नतीजतन, किसानों ने बीते 6 जून को राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया था। खबरों के मुताबिक, पुलिस ने किसान नेताओं को सड़के खाली करने को कहा। पर वह नहीं मान रहे थे। इसी बीच पुलिस हाईकोर्ट से एक आदेश लेकर आ गई। फिर भी किसान नहीं माने तो लाठीचार्ज किया। किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया गया। काफी देर तक चले गतिरोध के बाद पुलिस हाईवे खाली कराने में कामयाब हो सकी।
क्यों इसे सूरजमुखी और कमल की लड़ाई बता रहे हैं किसान नेता?
इधर, पुलिस ने बल प्रयोग किया था और किसान नेताओं को हिरासत में लिया था। इससे भड़के किसानों ने जगह जगह फिर सड़कों को जाम कर प्रदर्शन किया। गुरनाम सिंह समेत 9 किसानों को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। फिर कुरुक्षेत्र के शाहबाद की पंचायत में 12 जून को पिपली में महापंचायत का फैसला लिया गया था। उसी पंचायत के बाद फिर हाईवे जाम करने का फैसला लिया गया है। किसान नेता अब इसे ही सूरजमुखी और कमल के फूल (BJP का चुनाव चिन्ह) की लड़ाई बता रहे हैं।