सार
खाटू श्याम के दर्शन कर लौट रहे एक बुजुर्ग को ट्रेन में हार्ट अटैक आ गया। सौभाग्य से उनके साथ सफ़र कर रही एक महिला डॉक्टर ने सीपीआर देकर उनकी जान बचाई।
हरियाणा। पता नहीं किसी रूप में आकर नारायण मिल जाएगा ये गाने के बोल आपने एक नहीं बल्कि अनेकों बार सुने होंगे। कई बार ये चीज हकीकत में होती हुई भी दिखाई देती है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में लोगों के सामने आया है, जिसके बारे में जानने के बाद हर कोई हैरान है। खाटू श्याम जी के दर्शन करके ट्रेन से वापस घर लौट रहे एक आदमी को दिल का दौरा पड़ गया। जिस ट्रेन के डब्बे में वो मौजूद थे उसी में एक महिला डॉक्टर ईशा भारद्वाज भी यात्रा कर रही थी। ऐसे में उन्होंने बिना देरी किए मरीज को सीपीआर दिया और उसकी जान बचा ली।
महिला डॉक्टर ने देवी बनकर बचाई बुजुर्ग की जान
दरअसल अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस ट्रेन में खाटू श्याम के दर्शन करके वापस लौट रहे एक बुजुर्ग को अचानक से हार्ट अटैक आ गया। ट्रेन में जिस शख्स को हार्ट अटैक आया उनका स्वामी प्रसाद था। जब बुजुर्ग व्यक्ति को हार्ट अटैक आया तो ट्रेन के डब्बे में हड़कंप सा मच गया। बुजुर्ग व्यक्ति सांस थमती चली जा रही थी, लेकिन वहां मौजूद महिला डॉक्टर ने समझदारी दिखाते हुए उनकी जान बचा ली। उन्होंने कम से कम 1 मिनट तक बुजुर्ग स्वामी प्रसाद को सीपीआर दी। इसके बाद उनके शरीर में थोड़ी बहुत हरकत सी हुई। इसके बाद उन्हें हरियाणा के रेवाड़ी स्टेशन पर एंबुलेंस बुलाकर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। बुजुर्ग की जान बचाने वाली महिला का नाम डॉक्टर ईशा है। उनके इस शानदार काम के लिए लोगों ने उन्हें ट्रेन में ही सम्मानित किया। उन्हें माता की चुनरी देकर उनका जान बचाने के लिए सम्मानित किया।
कैसे दिया जाता है सीपीआर?
सीपीआर कैसे औऱ किस तरह से दिया जाता है इसके बारे में हर किसी को जानकारी होने चाहिए। सबसे पहले पीड़ित को किसी समतल जगह पर लिटाया जाता है। फिर सीपीआर देने वाले व्यक्ति को उसके पास घुटनों के बल बैठना होता है। इसके बाद पीड़ित के सीने के बीच में हथेली रखकर दबाया जाता है। इस दौरान कोहनी बिल्कुल सीधी होती है। ध्यान रखें कि छाती को कम से कम 1 से 2 इंच दबाएं रखना होता, ऐसा प्रति मिनट 100 बार किया जाता है। इसके अलावा लंबी सास लेकर मरीज के मुंह से मुंह चिपकाने और उसे धीरे-धीरे सांस छोड़ने पर भी सीपीआर दिया जा सकता है।
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