सार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन, बेरोज़गारी और महिला पहलवानों के मुद्दे हॉट टॉपिक बने हुए हैं। जानिए कौन से 10 मुद्दे प्रभावित कर सकते हैं चुनावी नतीजे।
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में 5 अक्टूबर के लिए वोटिंग होगी। बीजेपी जहां फिर से सत्ता में आने के लिए हर संभव प्रयास कर रही तो कांग्रेस इस बार वापसी को बेचैन है। स्थानीय दल भी अन्य दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में हैं और किंगमेकर बनने की जुगत में हैं। हालांकि, राजनीतिक दलों के चुनावी रणनीतियों के इतर जनता कई मुद्दों पर इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकती है। आईए जानते हैं 10 मुद्दे जो हरियाणा चुनाव को प्रभावित कर सकते…
- एमएसपी गारंटी और किसानों का विरोध: फसलों के लिए एमएसपी (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान लगातार आंदोलित हैं। तीन काले कानूनों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन के बाद सरकार को कानूनों को रद्द करना पड़ा था। लेकिन किसानों की एमएसपी गारंटी पर कोई समाधान नहीं निकल सका था। किसान तबसे एमएसपी गारंटी को लेकर मुखर हैं। ऐसे में किसान बहुल हरियाणा में किसानों का यह मुद्दा काफी प्रभावी हो सकता है।
- अग्निपथ योजना: भारतीय सेना के लिए विवादास्पद भर्ती योजना ने युवाओं में सेना भर्ती को लेकर क्रेज थोड़ा कम किया है। चार साल के लिए अग्निवीर योजना के तहत युवाओं की सेना में भर्ती का काफी विरोध हो रहा है। हरियाणा जैसे राज्य में यह मुद्दा चुनाव के समय प्रभावी हो सकता।
- बेरोज़गारी: हरियाणा की बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यहां रोजगार की मांग को लेकर युवाओं में आक्रोश है। बेरोजगारी भी इस चुनाव का मुद्दा है जो वोटर्स को प्रभावित कर सकता।
- महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न: बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ काफी संख्या में महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में बीजेपी सरकार के खिलाफ पहलवानों का आक्रोश अपनी चरम पर रहा है। चूंकि, अधिकतर महिला पहलवान हरियाणा से ही हैं इसलिए इस चुनाव में महिला पहलवानों का मुद्दा काफी मुखर है।
- विनेश फोगाट वर्सेस बृजभूषण शरण सिंह: महिला पहलवानों के आंदोलन की अगुवाई करने वाली टीम में शामिल विनेश फोगाट का ओलंपिक में मेडल से चूक और फिर उनका चुनावी राजनीति में कूदने के बाद पहलवान अपनी आवाज को और मुखर कर रहे हैं। उधर, महिला पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन की अगुवाई कर रहे बजरंग पूनिया भी कांग्रेस के लिए प्रचार कर रहे। जबकि बृजभूषण शरण सिंह भी लगातार महिला पहलवानों विशेषकर विनेश फोगाट को टारगेट कर रहे।
- सत्ता विरोधी भावना: भाजपा सरकार भ्रष्टाचार और अप्रभावी कल्याण कार्यक्रमों सहित शासन के मुद्दों पर जांच का सामना कर रही है जिससे मतदाताओं के बीच सत्ता विरोधी लहर की आशंका जताई जा रही है।
- गुरुग्राम में इंफ्रास्ट्रक्चर व मूलभूत नागरिक सुविधाओं का अभाव: गुरुग्राम में बिगड़ते बुनियादी ढांचे और नागरिक मुद्दे, जैसे जलभराव और यातायात की भीड़, निवासियों के बीच निराशा पैदा कर रहे हैं।
- महंगाई: आम आदमी के लिए आवश्यक सामानों की बढ़ती कीमतें, रोजमर्रा की जरूरत वाले सामानों के दामों में आई तेजी ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई भी इस चुनाव को प्रभावित कर सकता।
- दलित समर्थन: हरियाणा की आबादी में 20% से अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाले दलितों ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ छोड़ दिया था। इस विधानसभा में यह स्थितियां रहीं तो बीजेपी के लिए हालात थोड़े चिंता वाले हो सकते।
- जाट समुदाय: जाट और गैर-जाट दोनों समुदायों को लुभाने के लिए बीजेपी प्रयास कर रही है। बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जाट वोटर्स को छोड़कर गैर-जाट वोटर्स पर फोकस किया था। जाट वोटर्स की नाराजगी किसान आंदोलन के बाद बढ़ी है।
- शासन की जवाबदेही: शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही से संबंधित मुद्दे चुनावों से पहले मतदाता भावना को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक बने हुए हैं।
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