सार
दिल्ली-एनसीआर में दोपहर 2.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए।
जोशीमठ. दिल्ली-एनसीआर में दोपहर 2.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। जोशीमठ में भी धरती कांपी जिससे दहशत फैल गई। डर से लोग घरों से बाहर निकल आए।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र नेपाल था, जहां 2.28 बजे 5.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसका एहसास दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड व यूपी के कई इलाकों में हुआ। जानकारी के अनुसार नेपाल में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे भूकंप का केंद्र था। भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
उत्तराखंड के कई शहरों में भूकंप के तेज झटके
उत्तराखंड के हल्द्वानी में भी भूकंप के तेज झटकों से लोग सहम गए। इसके साथ ही रुद्रपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग घरो से बाहर निकल गए। एसएसपी ऑफिस में पुलिसकर्मी भी ऑफिस से बाहर निकल गए। रामनगर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये भूकंप के झटके 2 बजकर 29 मिनट पर लगे। बताया जा रहा है कि भूकंप के झटके तकरीबन 30 सेकंड तक महसूस किए गए।
भारत का कौन-सा राज्य भूकंप के किस जोन में
भू वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में हर जगह भूकंप का खतरा बना रहता है, लेकिन कुछेक राज्य ही ऐसे हैं, जो सेंसेटिव जोन में आते हैं। यानी यहां तीव्रता के भूकंप आने की डर हमेशा रहता है। भारत को चार हिस्सों यानि जोन में बांटा गया है। जैसे जोन-1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। इसमें सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है, जबकि जोन-5 में सबसे अधिक खतरा होता है।
जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से। यहां भूकंप का खतरा बेहद कम होता है।
जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां अकसर भूकंप की आशंका बनी रहती है।
जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा। यहां भी भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं।
जोन-चार : मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके। इस जोन में भी भूकंप का खतरा हमेशा मंडराता रहता है।
जोन-पांच : गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य सबसे खतरनाक जोन में शामिल हैं। यहां बड़े भूकंप का खतरा बना रहता है।
अब जानिए किस तीव्रता के भूकंप से कितना नुकसान
2.0 तीव्रता. रिएक्टर स्केल पर इस तीव्रता के भूकंप रोज करीब आठ हजार आते हैं, लेकिन ये महसूस नहीं होते।
2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता: रोज करीब हजार झटके आते हैं, लेकिन ये भी महसूस नहीं होते।
3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता: रिक्टर स्केल पर इस तीव्रता के झटके साल में करीब 49 हजार बार आते हैं। ये भी महसूस नहीं होते, पर मामूली नुकसान कर देते हैं।
4.0 से 4.9 की तीव्रता: साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। ये झटके महसूस होते हैं और नुकसान भी कर देते हैं।
5.0 से 5.9 तीव्रता: ये साल में लगभग 800 बार महसूस होते है। ये नुकसान पहुंचाते हैं।
6.0 से 6.9 तक की तीव्रता: साल में लगभग 120 बार दर्ज किए जाते हैं। ये 160 किलोमीटर तक के दायरे में बड़ा नुकसान कर देते हैं।
7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता: ये तबाही का कारण बनते हैं। ये साल में लगभग 18 बार आते हैं।
8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भयंकर तबाही ला देता है। हालांकि ये साल में कभी-कभार ही आते हैं।
9.0 से लेकर 9.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप विनाश ला देता है। हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही आ जाती है। ये 20 साल में एक बार आने की आशंका होती है।