सार

नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए के खिलाफ दायर हुई याचिकाओं पर मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा गया कि सीएए पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगेगी। जहा तक याचिकाओं पर सुनवाई का सवाल है। उन पर तीन सप्ताह के अंदर जवाब दिया जाएगा।

दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को सीएए के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं के संबंध में सुनवाई की गई। जिसमें केंद्र सरकार को राहत देते हुए 3 सप्ताह में जवाब देने का समय दिया है। वहीं सीएए नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। अब अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि 236 याचिकाओं में से कई याचिकाओं पर हमने नोटिस जारी किया है। हम बाकी याचिकाओं पर भी नोटिस जारी कर तारीख दे देते हैं। फिलहाल कोर्ट ने सीएए नोटिफिकेशन पर रोक वाली मांग की याचिका पर जवाब देने का समय मांगा है।

3 सप्ताह में केंद्र सरकार देगी जवाब, सीएए पर रोक लगाने से इंकार

नागरिकता संशोधन अधिनियम मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से पेश सॉल‍िस‍िटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इस पर याचिकाकर्ताओं की तरफ से इंदिरा जय सिंह ने इसे लागू करने पर रोक लगाने की मांग की और कहा कि इस मामले को बडी बेंच के सामने भेजा जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केन्‍द्र सरकार को राहत दी है। CAA नोटिफिकेशन पर फिलहाल रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर द‍िया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है क‍ि 9 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेंगे और 3 हफ्ते के भीतर केन्‍द्र सरकार को जवाब देना होगा।

यह भी पढ़ें : PF खाते में जानकारी भरते वक्त हो गई चूक? न लें टेंशन, जानें सुधारने के टिप्स

कपिल सिब्ब्ल ने कहा नोटिफिकेशन पर लगाएं रोक

इस मामले में जब कोर्ट ने पूछा कि केन्द्र सरकार कब तक जवाब दाखिल करेगी। तो सॉल‍िस‍िटर जनरल ने चार सप्ताह में जवाब देने का समय मांगा। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नोटिफिकेशन 4 साल 3 महीने बाद जारी हुआ हैं। ऐसे में नागरिकता देना शुरू हुआ तो उसे वापस लेना संभव नहीं होगा। इस कारण नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को सिटिजनशिप दी गई है। अगर रोक नहीं लगाई गई तो इन याचिकाओं का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। सॉल‍िस‍िटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चाहे किसी को नागरिकता मिले या ना मिले याचिकाकर्ताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

यह भी पढ़ें :  झूठे दावे करते हैं पतंजलि के विज्ञापन, सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को किया तलब