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मध्य प्रदेश के बड़े Mango पर भारी पड़ा छोटा भोपाली दहियार, नवाबों ने लगाया था, अरब देशों से लेकर USA तक जबर्दस्त डिमांड
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भोपाल. मध्य प्रदेश के आम दुनियाभर में 'खास' हो गए हैं। अभी तक आपने यहां के आदिवासी जिले अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा इलाके में पैदा होने वाले नूरजहां आम के बारे में सुना होगा, जिसका वजन 2-5 किलो तक हो सकता है। बड़े मैंगो के बाद अब जानिए भोपाली छोटे मैंगो के बारे में। 'दहियार' नाम का भोपाली आम दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया है। विदेशियों को जैसा चस्खा नूरजहां का लगा है, वैसा ही दहियार को लेकर हो चुका है। भोपाल फ्रूट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक दावा करते हैं कि दहियार आम को जो एक बार चख लेता है, वह इसका स्वाद नहीं भूल पाता।
भोपाल स्थित फूड रिसर्च सेंटर के चीफ साइंटिस्ट आरके जायसवाल दहियार को नवाबों के जमाने का आम माना जाता है। 1960-65 के दौरान वैज्ञानिकों ने पुराने भोपाल के कत्लखाने क्षेत्र से इसकी कलियों को लाकर फल अनुसंधान केंद्र(fruit research centre) में लगाया था। इस समय यहां 40 पेड़ हैं। ये करीब 60 साल पुराने हैं। यहां किसानों के लिए आम के पेड़ों की ग्राफ्टिंग भी तैयार की जाती है।
दहियार आम का स्वाद बहुत अलग होता है। यह मध्यम आकार का आम है। इसका वजन महज 80 से 100 ग्राम तक होता है। यह दिखने में देसी आम जैसा होता है। इसकी पहचान इसमें पाई जाने वाली हरे रंग की छड़ से होती है। यह आम दूसरे आमों की तुलना में देर से पकता है।
आमतौर पर यह जून के पहले सप्ताह से पकना शुरू हो जाता है। पकने पर इसका रस हल्के पीले रंग का हो जाता है। यह दही जैसा दिखता है। सुगंध भी दही जैसी होती है। इसलिए इसे दहियार कहते हैं।
ठेकेदारों के जरिए अरब देशों, दुबई और अमेरिका में आम की डिलीवरी होती है। दिल्ली, मुंबई, रायपुर आदि में भी इसकी काफी मांग है। दहियार आम के पेड़ की ऊंचाई करीब 40 से 50 फीट और फैलाव करीब 35 फीट होता है।
आम के ठेकेदार जफर के अनुसार, दहियार आम की सऊदी अरब, दुबई और अमेरिका में खूब डिमांड है। 100 पीस 3000 रुपये में बिकते हैं।