सार

नामांकन फार्म भरने के बाद चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए भाजपा नेता, मंत्री की बेटी, पूर्व विधायक सहित अन्य 14 प्रत्याशियों को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि रिटर्निंग अधिकारी ने इनके नामांकन फार्म निरस्त कर दिए हैं।

बालाघाट. मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों के नामांकन फार्म 30 अक्टूबर तक जमा हुए। नामांकन फार्म वापस लेने की अंतिम तारीख 2 नवंबर है। लेकिन इससे पहले रिर्टनिंग अधिकारियों द्वारा नामांकन फार्म की समीक्षा और जांच की जा रही है। नामांकन फार्म में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर उन्हें निरस्त किया जा रहा है।

14 प्रत्याशियों के निरस्त हुए नामांकन

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की छह विधानसभा में करीब 14 प्रत्याशियों द्वारा जमा किए गए फार्म रिर्टनिंग अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिए गए हैं। फार्म निरस्त होने की जानकारी मिलते ही सभी 14 प्रत्याशियों को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि वे लंबे समय से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। अचानक से उनका नाम निरस्त हो जाने से उनके समर्थकों में भी नाराजगी है।

भाजपा नेता और मंत्री की बेटी का नाम भी शामिल

जिन 14 प्रत्याशियों के फार्म निरस्त हुए हैं। उनमें से एक भाजपा के जिला महामंत्री मौसम हरिनखेड़े है। वहीं दूसरा नाम कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन की पुत्री का भी बताया जा रहा है। इसी के साथ एक नाम पूर्व विधायक किशोर समरिते का है। वे संयुक्त क्रांति पार्टी के प्रत्याशी हैं।

इस कारण निरस्त हुआ पूर्व विधायक का नामांकन

नाम निर्देशन पत्र की समीक्षा के आधार पर रिर्टनिंग अधिकारी ने बताया कि बालाघाट जिले के लांजी विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक किशोर समरीते के नामांकन फार्म पर कांग्रेस नेता अजय अवसरे ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इस पर पूर्व विधायक व संयुक्त क्रांति पार्टी के प्रत्याशी किशोर समरीते से जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर नामांकन फार्म निरस्त कर दिया गया। किशोर समरीते समाजवादी पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक बने थे।

 

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पूर्व विधायक बोले.इलेक्शन कमेटी से करूंगा चर्चा

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के अनुसार कोई भी अभ्यार्थी जिसे कम से कम 2 साल की सजा एवं उससे अधिक अवधि से दंडित किया गया है। तो वह विधानसभा और संसदीय निर्वाचन के लिए अयोग्य होगा। अगर उसने यह सजा भुगत ली है। तो रिहाई की तारीख से अगले 06 साल तक के लिए नियंत्रता बनी रहेगी। चूंकि किशोर समरिते की सजा माफ नहीं की गई है केवल सजा के निष्पादन पर रोक है। इस कारण उनका नामांकन फार्म निरस्त कर दिया गया है। इस मामले में समरीते का कहना है कि मुझे 14 साल हो गए हैं यदि निरर्हयता की सूची में नाम होता तो मैं नामांकन दाखिल नहीं करता। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में इलेक्शन कमेटी से बात करेंगे। क्योंकि ऐसा है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें क्यों लड़ने दिया गया।

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