Mahakal snake decoration Nag Panchami: नाग पंचमी पर उज्जैन के महाकाल मंदिर में हुआ दिव्य चमत्कार! बाबा महाकाल का सर्प और भांग से भस्म श्रृंगार देख हज़ारों भक्त हुए नतमस्तक। 4 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन-क्या आपने देखा बाबा का यह अलौकिक रूप? 

Mahakal Nag Panchami 2025: उज्जैन, मध्य प्रदेश की पुण्य भूमि एक बार फिर गूंज उठी “जय श्री महाकाल” के उद्घोष से, जब नाग पंचमी के पावन अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का सर्प और भांग से दिव्य श्रृंगार किया गया। यह दृश्य इतना चमत्कारी था कि हजारों भक्त इस अलौकिक रूप के दर्शन कर स्तब्ध रह गए।

रात्रि 3 बजे जागे महाकाल, भस्म आरती का हुआ शुभारंभ 

श्रावण मास के तृतीय सोमवार की रात्रि, जब अधिकांश शहर गहरी नींद में थे, तब महाकाल के द्वार खोले गए। सुबह 3 बजे, मंदिर के पट खुलते ही भगवान वीरभद्र की पूजा के साथ महाकाल की विशेष भस्म आरती प्रारंभ हुई। इस दिव्य क्षण का साक्षात्कार करने के लिए हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्रित हो चुके थे।

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दूध, दही, भांग और सर्प से हुआ बाबा का श्रृंगार 

पुजारी पं. महेश शर्मा के अनुसार, बाबा महाकाल का अभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया। विशेष बात यह रही कि इस वर्ष बाबा का श्रृंगार सर्प आकृति, भांग, कमल के फूल, और रुद्राक्ष की माला से हुआ। बाबा के मस्तक पर कमल का फूल और अंगों पर नागों की आकृति, भक्ति और रहस्य का अद्वितीय संगम प्रतीत हुआ।

विशेष श्रृंगार के बाद हुई कपूर आरती 

श्रृंगार के पश्चात बाबा को नया मुकुट पहनाया गया और मोगरे व गुलाब की माला से सजाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा शिवलिंग को वस्त्र से ढककर भस्म अर्पित की गई। मान्यता है कि भस्म अर्पण के बाद बाबा निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं, और यही अनुभव भक्तों को आज प्राप्त हुआ।

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4 लाख श्रद्धालुओं ने लिए दर्शन, व्यवस्था रही अद्वितीय 

श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर प्रथम कौशिक ने बताया कि अब तक 4 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। चलित भस्म आरती में ही 14,000 से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। भक्तों की सुविधा के लिए समिति द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गईं, जिससे दर्शन बिना अवरोध हो सके।

यह केवल पूजा नहीं, आध्यात्मिक ऊर्जा का जागरण था... 

नाग पंचमी का यह महोत्सव एक बार फिर सिद्ध करता है कि महाकाल केवल देवता नहीं, बल्कि अनुभूति हैं, चेतना हैं, और ब्रह्मांडीय रहस्य का जीवंत स्वरूप हैं। यदि आपने इस दिव्य स्वरूप को नहीं देखा, तो आपने एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव खो दिया।