न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि पीड़िता महज 12 साल की है और नाबालिग है इसलिए वह यौन संबंध के लिए सहमति देने की स्थिति में नहीं थी। गर्भपात को इस रूप में मानना चाहिए कि यह गर्भ बलात्कार की वजह से था। आदेश में कहा गया है कि 19 सप्ताह और छह दिन का गर्भ गिराना गर्भपात के कानूनी दायरे में आता है।