उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भक्ति, ज्ञान और कर्म योग का सार गीता में मिलता है। उन्होंने गीता को शिक्षा में शामिल करने, कृष्ण के जीवन से एकता-प्रेम सीखने और धर्म-कर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
भोपाल/उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग-इन सबका सार श्रीमद्भगवद्गीता में मिलता है। हर स्कूल के बच्चे के बस्ते में गीता होनी चाहिए क्योंकि यह जीवन को संतुलित करने का सबसे प्रैक्टिकल ज्ञान देती है। उन्होंने कहा कि गीता हमें बताती है कि हमारे कर्म हमेशा हमारे साथ रहते हैं और यह आत्मा व कर्म के बीच सामंजस्य का मार्ग दिखाती है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सहभागिता
1 दिसंबर को उज्जैन के दशहरा मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में साधु-संत, बुजुर्ग और बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक साथ गीता पाठ किया। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने कहा कि आज प्रदेश को गीता भवन की सौगात भी मिलेगी।
गीता सर्वोच्च ग्रंथ, शिक्षा नीति में मिला सम्मान
CM मोहन यादव ने कहा कि गीता सबसे बड़ा पवित्र ग्रंथ है और इसमें जीवन का हर ज्ञान मौजूद है। मध्यप्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मना रही है, यह गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2020 में नई शिक्षा नीति आई, जिसके बाद गीता को पाठ्यक्रम में विशेष महत्व दिया गया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से हमें जीवन के गहरे संदेश मिलते हैं।
भगवान कृष्ण ने दी प्रेम और एकता की प्रेरणा
सीएम यादव ने कहा कि 5 हजार साल पहले कंस वध के बाद भगवान कृष्ण शिक्षा के लिए उज्जैन आए थे। सांदीपनि आश्रम में अमीर-गरीब सभी को बराबरी से शिक्षा मिलती थी। वहाँ कृष्ण और सुदामा दोनों साथ पढ़ते थे। इस उदाहरण ने समाज को एकता, प्रेम और समानता की सीख दी। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण और उनके माता-पिता ने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हर कठिनाई में संघर्ष किया और विजय प्राप्त की। कठिन समय में मुस्कुराने की शक्ति भगवान कृष्ण से ही मिलती है।
शिक्षा को सर्वोपरि रखने का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि कंस वध के बाद भगवान कृष्ण ने सत्ता या कुर्सी के बजाय शिक्षा को अहमियत दी। यह सभी के लिए सीख है। सांदीपनि आश्रम ने कृष्ण को सिखाया कि चुनौतियों में मुस्कुराकर कर्म के पथ पर कैसे आगे बढ़ना है।
उन्होंने कहा कि जन्म लेने वाले हर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है, इसलिए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। भगवान कृष्ण ने पूरी दुनिया को दिखाया कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब परमात्मा अवतार लेकर धर्म और मानवता की रक्षा करते हैं।
भगवान कृष्ण का कर्मवाद का संदेश
सीएम यादव ने कहा कि भगवान ने अपनी सेना को कौरवों के साथ लड़ने दिया, जहाँ कई वीर योद्धा मारे गए। यह घटना कर्मवाद का बड़ा संदेश देती है। भगवान कृष्ण ने न तो पुत्र को द्वारिका की गद्दी दी और न ही किसी को विशेषाधिकार दिया। वे जनतंत्र के प्रतीक हैं जिन्होंने “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत को आगे बढ़ाया।


