मुंबई में जालसाजों ने 85 साल के रिटायर्ड प्रोफेसर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर ₹9 करोड़ ठग लिए। खुद को पुलिस-CBI बताकर उन्होंने खातों की जानकारी ली और पैसे ट्रांसफर कराए। 1 से 22 दिसंबर के बीच रकम निकाली गई। पुलिस जांच में जुटी है।
Digital Arrest in Mumbai: मुंबई में जालसाजों ने 85 साल के बुजुर्ग को साइबर फ्रॉड के जाल में फंसाकर उनसे 9 करोड़ रुपए ठग लिए। पुलिस ने बुधवार 24 दिसंबर को बताया कि स्कैमर्स ने बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर लिया था। पीड़ित रिटायर्ड प्रोफेसर और इंजीनियरिंग कॉलेज में डिपार्टमेंट के पूर्व हेड हैं। उन्होंने साउथ रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।
कब की है घटना?
यह घटना 28 नवंबर को तब शुरू हुई, जब बुज़ुर्ग शख्स के पास नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन से फोन आया। फोन करने वाले ने अपना परिचय इंस्पेक्टर के रूप में दिया। कॉल करने वाले ने कहा कि आपके आधार नंबर का इस्तेमाल करके एक बैंक अकाउंट खोला गया है। वह अकाउंट मनी लॉन्ड्रिंग और केंद्र सरकार द्वारा बैन किए गए आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को पैसे ट्रांसफर करने में इस्तेमाल किया गया है। कॉल करने वाले ने चेतावनी दी कि आपके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जा रहा है और इसकी जांच CBI क्राइम ब्रांच की एक स्पेशल टीम कर रही है।
जालसाजों ने बुजुर्ग को दिलाया भरोसा
इसके बाद 1 दिसंबर को पीड़ित को पुलिस की वर्दी पहने एक दूसरे आदमी का WhatsApp वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने बुजुर्ग से कहा कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है और उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" कर लिया गया है। इसके बाद जालसाजों ने पीड़ित को अपने बैंक खातों और इन्वेस्टमेंट की पूरी जानकारी शेयर करने को कहा। साथ ही यह चेतावनी भी दी वो इस मामले का जिक्र किसी से न करें। इसके बाद धोखेबाजों ने अपनी सारी बचत ट्रांसफर करने को कहा। उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद पैसा ब्याज के साथ लौटा दिया जाएगा।
बुजुर्ग ने 22 दिन में 9 करोड़ रुपए कर दिए ट्रांसफर
गिरफ्तारी के डर से बुजुर्ग ने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड और शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट से कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए। पुलिस ने बताया कि 1 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच कुल ₹9 करोड़ ट्रांसफर किए गए। इसके बाद, जब अचानक कॉल आने बंद हो गए तो पीड़ित ने कथित अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। तब उन्हें एहसास हुआ कि उनक साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। इसके बाद बुजुर्ग ने नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क किया और औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए साइबर पुलिस के पास गए। फिलहाल पुलिस धोखेबाजों का पता लगाने और पैसे बरामद करने के लिए जांच कर रही है।


