सार
मुंबई अदालत ने बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में आरोपी धर्मराज कश्यप के नाबालिग होने के दावे को खारिज करते हुए ऑसिफिकेशन टेस्ट के बाद उसे 21 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। आइए जानें क्या है ऑसिफिकेशन टेस्ट और कोर्ट कब इसे कराती है।
मुंबई। मुंबई की एक अदालत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के आरोपी धर्मराज कश्यप की उम्र की सत्यता को लेकर ऑसिफिकेशन टेस्ट का आदेश दिया था। कश्यप के वकील ने अदालत में दावा किया था कि वह नाबालिग है, जबकि दस्तावेजों के अनुसार उसकी उम्र 19 वर्ष थी। इस विरोधाभास को हल करने के लिए एस्प्लेनेड कोर्ट ने ऑसिफिकेशन टेस्ट का निर्देश दिया, जो व्यक्ति की हड्डियों की उम्र की जांच करता है। टेस्ट के नतीजों से पता चला कि धर्मराज कश्यप नाबालिग नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने उसे 21 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने कहा कि धर्मराज कश्यप के वकील ने नाबालिग होने का दावा किया था, लेकिन परीक्षण में यह दावा झूठा साबित हुआ।
ऑसिफिकेशन टेस्ट क्या है?
ऑसिफिकेशन टेस्ट यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई संदिग्ध नाबालिग है या नहीं। ऑसिफिकेशन हड्डियों के निर्माण की प्रक्रिया है जो मनुष्यों में बचपन से लेकर किशोरावस्था के अंत तक होती है। ऑसिफिकेशन टेस्ट एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो हड्डियों के संलयन की डिग्री का विश्लेषण करके किसी व्यक्ति की उम्र का अनुमान लगाती है और आमतौर पर उम्र निर्धारण के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
शरीर के इन अंगों का कराया जाता है एक्स-रे
इस प्रक्रिया में हड्डियों के विकास की डिग्री निर्धारित करने के लिए शरीर के अंगों जैसे कि हंसली, उरोस्थि और श्रोणि के एक्स-रे का विश्लेषण करना शामिल है। इन हड्डियों को परीक्षण के लिए इसलिए चुना जाता है क्योंकि इनमें सबसे अधिक स्पष्ट परिवर्तन दिखाई देते हैं। व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ ये सख्त हो जाती हैं और आपस में जुड़ जाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतों ने हमेशा माना है कि रेडियोलॉजिकल जांच द्वारा दिए गए साक्ष्य निस्संदेह किसी व्यक्ति की आयु निर्धारित करने के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शक कारक हैं, लेकिन साक्ष्य निर्णायक और निर्विवाद प्रकृति के नहीं हैं।
बाबा सिद्दीकी की हत्या और आरोपी
पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार को बांद्रा ईस्ट में उनके बेटे जीशान के कार्यालय के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन हमलावरों ने सिद्दीकी पर हमला किया, और गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह की संलिप्तता
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली। गिरोह के सदस्य शुभम लोनकर ने सोशल मीडिया पर इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी। इस मामले में मुंबई पुलिस ने दो आरोपियों—गुरमेल बलजीत सिंह और धर्मराज कश्यप—को गिरफ्तार किया है। हालांकि, गोलीबारी के दौरान एक और आरोपी भागने में कामयाब हो गया था। पुलिस जांच के अनुसार, हत्या में शामिल चौथे संदिग्ध मोहम्मद जीशान अख्तर की भी पहचान हो चुकी है। माना जा रहा है कि अख्तर ने शूटरों को बाहर से निर्देश दिए और रसद सहायता भी प्रदान की।
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