सार

अमृतसर के हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) से गुरबाणी का टेलिकॉस्ट फ्री करने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के एक tweet से विवाद खड़ा हो गया है। अभी इस पर बादल परिवार के मालिकाना हक वाले PTC चैनल का एकछत्र अधिकार है। 

नई दिल्ली. अमृतसर के हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) से गुरबाणी का टेलिकॉस्ट फ्री करने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के एक tweet से विवाद खड़ा हो गया है। अभी इस पर बादल परिवार के मालिकाना हक वाले PTC चैनल का एकछत्र अधिकार है। गुरबाणी टेलिकास्ट को फ्री करने के एजेंडे को मान कैबिनेट सोमवार को मंजूरी देने के बाद 20 जून को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में पेश करेगी।

मान ने ट्वीट किया-"भगवान के आशीर्वाद से, हम एक ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रहे हैं, सभी भक्तों की मांग के अनुसार, हम सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में एक नया क्लॉज जोड़ रहे हैं कि हरमिंदर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त होगा, किसी टेंडर की जरूरत नहीं....।"

स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी का फ्री टेलिकास्ट और सिख पॉलिटिक्स

इस मामले में मान सरकार की कैबिनेट में 19 जून को फैसला है। यानी स्वर्ण मंदिर में होने वाली गुरबाणी का टेलिकॉस्ट फ्री होगा। इसके लिए सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 में एक नया क्लॉज जोड़ा जा रहा है। हालांकि इस फैसले ने विवाद भी खड़ा कर दिया है।

बता दें कि हरमंदिर साहिब से गुरबाणी प्रसारित करने का अधिकार सिखों की अपेक्स बॉडी-शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी या SGPC द्वारा पंजाब के शक्तिशाली राजनीति बादल परिवार के स्वामित्व वाले PTC नेटवर्क को दिया गया है। इसे मुफ्त करने से नेटवर्क के एकाधिकार को तोड़ने और सभी टेलीविजन चैनलों के लिए जमीन तैयार करने की उम्मीद है। हालांकि SGPC, बादल और अकाली दल इसका विरोध कर रहे हैं।

हालांकि मान का कहना है कि यह फैसला दुनियाभर की सिख संगत की भावनाओं के अनुरूप है।

हरमंदिर साहिब गुरबाणी टेलिकॉस्ट कंट्रोवर्सी

SGPC प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने इसका विरोध करते हुए एक बयान दिया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को सिखों के धार्मिक मामलों को भ्रमित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। वे अपने राजनीतिक हितों के लिए देश को भ्रमित न करें। उन्होंने तर्क दिया कि गुरबाणी कोई सामान्य प्रसारण नहीं है। इसकी पवित्रता और नैतिकता की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।"

हालांकि पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने tweet करके इसे सही कदम बताया। उन्होंने लिखा कि "सरब सांझी गुरबानी" यानी बिना किसी भेदभाव के एक और सभी के लिए …यह मेरे सहित दुनिया भर के लाखों सिखों की इच्छा थी…सराहनीय प्रयास @भगवंत मान।

क्या है सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925‌?

सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 संसद के अधीन है। सिख समुदाय ने इसके तहत गुरु घर(गुरुद्वारा) के संबंध में निर्णय लेने के लिए वोटिंग के माध्यम से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति(SGPC) का चुनाव किया है। समिति के प्रस्ताव के बिना संसद इस अधिनियम में संशोधन नहीं कर सकती है। ऐसे में राज्य सरकार संशोधन कैसे कर सकती है? इसे ही लेकर विवाद है।

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