सार
जयपुर. हाल ही में रायपुर में आयोजित दीक्षा कार्यक्रम में राजस्थान के पाली जिले की रहने वाली निकिता कटारिया ने जैन धर्म की दीक्षा ली है। महज 29 साल की उम्र में इसने दीक्षा प्राप्त की है। निकिता ग्रेजुएट है। जिसके पिता राजस्थान के केमिकल कारोबारी है।
14 साल की उम्र में निकिता की बढ़ गई थी धर्म के प्रति आस्था
निकिता बताती है कि भले ही उसने अब दीक्षा ली हो लेकिन 14 साल की थी तब ही उसकी धर्म के प्रति आस्था बढ़ चुकी थी। वह धार्मिक कार्यक्रमों में भी काफी हिस्सा लेने लगी। जहां जाने के बाद उसे अच्छा भी लगता। उन्हें तब ही मन में विचार आवश्यक सांसारिक जीवन तो नश्वर हैए आज नहीं तो कल मौत तो निश्चित है ही। इसलिए वैराग्य धारण करना है। यह बात निकिता ने अपने पिता के सामने कही थी तो उनके भी होश उड़ चुके थे। पिता ने तो यहां तक कह दिया था कि यह कोई बच्चों का काम नहीं है। परिवार के लोगों ने काफी समझाया लेकिन निकिता ने कोई भी बात नहीं मानी।
घरवाले भी निकिता की जिद्द के आगे नतमस्तक हो गए
निकिता का कहना है कि उन्होंने ठान ली थी कि उसे अब संयम के पथ पर चलना है। परिवार ने करीब 4 साल तक निकिता को समझाया लेकिन वह नहीं मानी। आखिरकार घरवाले भी निकिता की जिद्द के आगे नतमस्तक हो गए। निकिता ने साल 2018 में जैन धर्म के साधु संतों के साथ करीब 1100 किलोमीटर का पैदल विहार भी किया था।
निकिता ने सभी माता-पिता के लिए कही दिल छू जाने वाली बात
निकिता बताती है कि यदि वह शादी कर लेती तो पीहर तो वैसे भी उसका छूट ही जाता। इससे अच्छा उसे यह लगा कि वह संयम के पथ पर बढ़कर अपना जीवन गुजारे। निकिता कहती है कि सांसारिक जीवन भी काफी कठिन है। यहां सुख के साथ दुख भी भोगना पड़ता है। लेकिन संयम के पद पर जितनी कठिनाई नजर आती है उतनी होती नहीं है।
कोई करोड़पति तो कोई लाखों का पैकेज छोड़कर बन रहा सन्यांसी
आपको बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब छोटी सी उम्र में राजस्थान के किसी युवक या युवती के द्वारा जैन धर्म की कोई दीक्षा ली गई हो। इसके पहले भी कई ऐसे युवा रहे जिन्होंने करोड़ों रुपए की संपत्ति छोड़कर संयम के पथ पर चलने का रास्ता चुना।
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