सार

राजस्थान के डीग में सीआईडी की टीम ने सिंथेटिक दूध बनाने वाली फैक्ट्री में छापा मारा है। टीम ने फैक्ट्री में सरस दूध के नाम से सिंथेटिक दूध बनाया जाता था।

जयपुर। दिवाली करीब आते ही नकली मिठइयों, खोआ और दूध का कारोबार तेज हो जाता है। ऐसे में पुलिस अभियान चलाकर मिलावटखोरों के खिलाफ छापेमारी कर रही है। पुलिस मुख्यालय सीआईडी क्राइम ब्रांच की टीम ने बुधवार अल सुबह डीग जिले के कैथवाड़ा कस्बे में सरस दूध के नाम से सिंथेटिक दूध बनाने की फैक्ट्री पकड़ी है। 

सिंथेटिक दूध की हो रही थी सप्लाई
फैक्ट्री में तैयार सिंथेटिक दूध दौसा जिले के बांदीकुई थाना अंतर्गत 2 बीएमसी और थाना बैजूपाड़ा स्थित एक बीएमसी के अतिरिक्त सिकराय कस्बे की डेयरियों में सप्लाई किया जा रहा था। सभी जगह से कुल 12 लोगों को डिटेन किया गया है। 

सिंथेटिक दूध की फैक्ट्री पकड़ी
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराध दिनेश एमएन ने बताया कि यह कार्रवाई स्थानीय पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर की है। कैथवाड़ा में पकड़ी गई फैक्ट्री से रोजाना करीब 50 हजार लीटर सिंथेटिक दूध तैयार कर सप्लाई किया जा रहा था। सीआईडी ने बुधवार को की गई कार्रवाई में भी करीब 50 हजार लीटर सिंथेटिक दूध के अलावा भारी मात्रा में पनीर, मावा के साथ दूध के तीन छोटे टैंकर जब्त किए हैं।स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दूध और अन्य खाद्य पदार्थ के सैंपल लिए हैं।

कमालिया आइस इंडस्ट्रीज एवं मिल्क चिलिंग प्लांट में घोटाला
एडीजी ने बताया कि कैथवाड़ा थाना क्षेत्र स्थित कमालिया आइस इंडस्ट्रीज एवं मिल्क चिलिंग प्लांट में केमिकल से सिंथेटिक दूध बनाया जा रहा था। फैक्ट्री से छोटे दूध के टैंकरों के मार्फत दौसा जिले में थाना बांदीकुई स्थित बीएमसी रलावता व झुंपडीन एवं थाना बैजूपाड़ा स्थित बीएमसी बिवाई तथा सिकराय कस्बे में तीन दूध की डेयरी में सप्लाई किया जाता। बीएमसी के संचालक नकली दूध की जयपुर सरस् डेयरी में सप्लाई कर रहे थे। इस काम में बीएमसी के अध्यक्ष की भूमिका संदिध पाई गई है।

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केमिकल से तैयार किया जाता है सिंथेटिक दूध
सिंथेटिक दूध में असली दूध की एक बूंद भी नहीं होती। हाइड्रो पेरोक्साइड, यूरिया, पाम आयल, कास्टिक सोडा, मिल्क पाउडर इत्यादि को एक निश्चित मात्रा में लेकर मशीनों के जरिए तैयार किया जाता है। एडीजी ने बताया कि क्राइम ब्रांच की टीम पुष्टि के बाद बुधवार को स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस के सहयोग से छापा मारा गया। स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने कभी भी किसी भी गाय, भैंस या बकरी या अन्य दूध देने वाले जानवर को अंदर जाते हुए कभी नहीं देखा। लेकिन हर रोज दूध के टैंकर यहां से भरकर बाहर भेजे जाते रहे हैं।