सार
राजस्थान में 20 दिनों से चल रहे निजी डॉक्टरों में के विरोध में आज विराम लग गया है। कांग्रेस सरकार ने निजी डॉक्टर्स के ये आठ बिंदु स्वीकार कर लिए है। इनको मानने के बाद अधिकतर अस्पताल सरकारी नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
जयपुर (jaipur news). इन आठ मांगों को लेकर पिछले तीन सप्ताह से भी ज्यादा समय से निजी अस्पताल वालों ने जयपुर में प्रदर्शन और धरने जारी कर रखे हैं। इलाज छोड़ डॉक्टर्स और उनका स्टाफ सड़कों पर है। ऐसे में सरकार को आखिर झुकना ही पड़ा है। सरकार ने निजी अस्पतालों की आठ मांगें मान ली हैं। इन आठ मांगों के मानने के बाद अब राइट टू हैल्थ बिल बेहद ही कमजोर होना तय है। ऐसे में राजस्थान सरकार की सबसे बड़ी योजना यानि मुफ्त इलाज योजना को तगड़ा झटका लगा है।
इन आठ मागों पर बनी है सरकार से सहमति.....
1 - अब चुनिंदा निजी अस्पताल ही सरकार के दायने में आएंगे। इनमें निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पीपीपी मोड पर बने अस्पताल और वे अस्पताल जो सरकार ने किसी न किसी तरीके से सहायता पा रहे हैं या सरकार से सहायता ले चुके हैं। इनमें मुफ्त जमीन तक भी शामिल है।
2 - पचास बेड से कम के अस्पताल इस योजना से बाहर कर दिए गए हैं।
3 - आंदोलन के दौरान डॉक्टर्स पर दर्ज किए गए तमाम पुलिस केस वापस लिए जाएंगे।
4 - फायर एनओजी को हर साल की जगह अब पांच साल में एक बार रिन्यू कराना होगा।
5 - अस्पतालों से संबधित समस्याओं के लिए सरकार के पास सिंगल विंडो सिस्टम डवलप होगा।
6 - सरकार यदि नियमों में और भी किसी तरह का परिवर्तन करती है तो इसमें आईएम के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। उनसे बिना चर्चा किए कुछ भी नहीं किया जाएगा।
7 - राजस्थान में बने निजी अस्पतालों को सरकारी कोटे में नियमित करने पर काम किया जाएगा।
8 - जिस भी निजी अस्पताल की स्थापना सरकार से किसी भी सुविधा या रियायत के बिना हुई है उसे आरटीएच बिल से बाहर माना जाएगा।
इन आठ मागों पर सहमति बनी है। सहमति की शर्तो और अन्य प्रक्रिया पर दोपहर बार सरकार और डॉक्टर्स में अंतिम वार्ता होनी है। इस वार्ता के बाद अब आज शाम से ही निजी अस्पतलाों में फिर से इलाज शुरू होने की उम्मीदे हैं।
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