Rajasthan Sleeper Buses Strike : राजस्थान में आज रात 30 अक्टूबर रात 12 बजे से 8 हजार स्लीपर बसें नहीं चलेगी। ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ओनर एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। साथ ही वजह को लेकर सीएम को लेटर लिखा है।
राजस्थान से बड़ी खबर सामने आई है, जिससे प्रदेश के लाखों लोगों को परेशानी होगी। दरअसल, प्रदेश भर में आज रात से करीब 8 हजार स्लीपर बसें नहीं चलेगी, यानि बसों को पहिए थम जाएंगे। क्योंकि ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ओनर एसोसिएशन ने 31 अक्टूबर से पूरे राजस्थान में स्लीपर बसों का संचालन बंद करने का ऐलान कर दिया है। गुरुवार आधी रात से यह सेवा बंद हो जाएगी।
बस ऑनर एसोसिएशन ने सीएम को लिखा लेटर
दरअसल, RTO की लगातार कार्रवाई के बाद ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ऑनर एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया है। एसोसिएशन के सचिव राजेंद्र परिहार ने आदेश जारी कर यह जानकारी दी है। एसोसिएशन के सचिव ने बुधवार को मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा है। इसमें यात्रियों को होने वाली असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार से यात्रियों की सुविधा के लिए अपने स्तर पर व्यवस्था करें।
राजस्थान में 3 लाख लोग रोजाना बसों में करते हैं सफर
बता दें कि जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर समेत राजस्थाने के कई शहरों में चलने वाली कई बसों की ऑनलाइन बुकिंग भी ट्रेवल्स एजेंसियों ने बंद कर दी है। बसों को की इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से राजस्थान से देश के कई राज्यों में जाने वाली इन बसों में औसतन 3 लाख लोग रोजाना यात्रा करते हैं। जिन्हें अब कल से परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बस आपरेटरों ने सरकार पर लगाए ये आरोप
बता दें कि राजस्थान परिवहन विभाग के द्वाबारा जारी आदेश के बाद बस एसोसिएशन ने हड़ताल करने का फैसाल किया है। एसोसिएशन का कहना है कि आरटीओ और पुलिस वाले चेकिंग के नाम पर जबरन का जुर्माना वसूल रहे हैं। साथ ही हमारी बसों को बिना कारण के सीज किया जा रहा है। यूनियन ने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन के नियमों का बस ऑपरेटर पालन नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें कुछ समय दिया जाए। जो नियम बनाए हैं वह सरकारी बसों पर भी लागू होना चाहिए, ना कि सिर्फ निजी बसों पर...लेकिन एकतरफा कार्रवाई हो रही है। हम सारे नियमों का पालन करेंगे, लेकिन कुछ समय दिया जाए।
बस ऑपरेटरों की दादागिरी हो बंद
वहीं सोशल मीडिया पर यूजर ने लिखा है कि बस ऑपरेटर व्यवस्था सुधारने के बजाए बार बार हड़ताल पर जाना कहाँ तक उचित है ? सरकार और यूनियन दोनों को दो टुक साफ़ साफ़ बात करनी चाहिए ।यह ध्यान रखना चाहिए कि जनता की सुरक्षा से ऊपर कुछ भी नहीं है उसी के आधार पर स्पष्ट नीति बननी चाहिए। परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार ख़त्म होना भी उतना ही ज़रूरी है जितना ऑपरेटरों की दादागिरी का बंद होना ।
