सार
राजस्थान में सियासी वार शुरू हो चुकी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ ढिलाई बरतने के चलते अपनी ही सरकार के खिलाफ सचिन पायलट अनशन पर बैठे है। आलाकमान के आदेश पर नेताओं ने उनका साथ नहीं दिया। अब अकेले पड़े पायलट के पास क्या है विकल्प।
जयपुर (jaipur news). राजस्थान में एक बार फिर सियासी वार शुरू हो चुकी है। पिछली भाजपा सरकार के घोटालों के विरोध में आज से जयपुर के शहीद स्मारक पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अनशन शुरू कर दिया है। सुबह 11 बजे से सचिन पायलट मौन धारण कर बैठे हुए हैं। जिनके साथ कांग्रेस के कई विधायक भी शामिल है।
पोस्टर में पार्टी के किसी बड़े नेता का चेहरा तक नहीं
आज के इस कार्यक्रम में सबसे बड़ी बात कि देखने कोई को मिली है कि अपने पोस्टर में सचिन पायलट ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तस्वीर तक नहीं लगाई है। ऐसे में साफ देखा जा सकता है कि सचिन पायलट ने अपने पार्टी हित को साइड में रखते हुए यह अनशन शुरू किया है। अब सचिन पायलट आज शाम को मौन तोड़कर अपनी बात करेंगे।
राजनीतिक जानकारो का कहना ये
राजस्थान के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को अपने पोस्टर में नहीं रखकर कांग्रेस पार्टी को एक तरफ रख दिया है। हालांकि हो सकता है कि सचिन पायलट अब चुनाव तक पार्टी में ही रहेंगे। लेकिन वह पार्टी के अंदर रहकर ही घात काटने का काम करेंगे। इस बार सचिन पायलट ने मोर्चा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ खोला है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे कांग्रेस के कई बड़े नेता इस काम में सचिन पायलट का साथ दे सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट के पास सब कांग्रेस के मौजूदा 35 विधायकों का समर्थन हो चुका है। हालांकि आज के कार्यक्रम में कई सामने नहीं आए हैं। वही राजस्थान में डैमेज कंट्रोल करने के लिए आज पहले राजस्थान प्रभारी रंधावा का भी आने का कार्यक्रम था। जो अब कैंसिल हो चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब कांग्रेस पार्टी आलाकमान भी सचिन पायलट को मनाने वाला नहीं है।
पायलट के पास आए ये ऑफर
वहीं एक तरफ सचिन पायलट की हनुमान बेनीवाल से नजदीकी भी दूसरे संकेत दे रही है। क्योंकि पिछले 1 महीने में हनुमान बेनीवाल कई बार अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर चुके हैं। वही बीते दिनों सचिन पायलट को नई पार्टी बनाने के लिए भी हनुमान बेनीवाल ने ही कहा था। तो वहीं अनशन से पहले बीएसपी भी उनकों अपने साथ जुड़ने का ऑफर दे चुकी है। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट की पैरवी केजरीवाल के पास हनुमान बेनीवाल ही कर रहे हैं। हालांकि अब सचिन पायलट के मौन तोड़ने पर ही उनके आगे की रणनीति का पता चल पाएगा।
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