क्या चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलिया सेठ मंदिर में इस बार दान का खजाना सभी रिकॉर्ड तोड़ देगा? सिर्फ 4 राउंड की गिनती में ही 36 करोड़ से ज्यादा निकल चुके हैं, जबकि चेक और ऑनलाइन दान की गिनती अभी बाकी है। क्या ये पहली बार 40 करोड़ का आंकड़ा पार करेगा?
Sanwaliya Seth Temple Donation: चित्तौड़गढ़ का श्रीसांवलिया सेठ मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां भंडार खुलते ही दान की ऐसी बारिश होने लगी कि सिर्फ चार राउंड की गिनती में 36 करोड़ 13 लाख 60 हजार रुपए निकल आए। दान की गिनती 19 नवंबर से चल रही है और मंदिर समिति का कहना है कि रकम अभी और बढ़ेगी, क्योंकि चेक, मनीऑर्डर और ऑनलाइन दान की गिनती अभी शुरू ही नहीं हुई है। इस बार ऐसा माहौल बन गया है कि कुल राशि 40 करोड़ रुपए तक पहुंचने की पूरी उम्मीद है।
यह मंदिर मेवाड़ का प्रसिद्ध कृष्णधाम माना जाता है और देशभर से भक्त यहां आकर चढ़ावा चढ़ाते हैं। लेकिन इस बार गिनती का पैमाना इतना बड़ा है कि पिछले सभी रिकॉर्ड पीछे छूट गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस बार भंडार दो महीने बाद खोला गया, जिससे चढ़ावा कई गुना बढ़ गया।
क्या सिर्फ चार राउंड में 36 करोड़ की दान राशि पहले कभी देखी गई है?
19 नवंबर को भंडार खुलते ही पहला राउंड शुरू हुआ और उसी दिन 12 करोड़ 35 लाख रुपए निकल आए। यह आंकड़ा ही पिछले वर्षों के मुकाबले काफी बड़ा था। अगला राउंड 21 नवंबर को हुआ, जिसमें 8 करोड़ 54 लाख रुपए मिले। तीसरे राउंड में 7 करोड़ 8 लाख 80 हजार रुपए निकले और फिर आया चौथा राउंड, जो इस बार का सबसे अहम राउंड माना गया। इस चौथे राउंड में 8 करोड़ 15 लाख 80 हजार रुपए मिले और इसी के साथ कुल राशि 36 करोड़ के पार चली गई। यह पूरी दान राशि पिछले साल दीपावली के बाद दो महीने में मिले कुल 34 करोड़ 91 लाख रुपए से भी ज्यादा है। यानी इस बार सिर्फ चार राउंड में ही सालाना रिकॉर्ड टूट गया।
क्या दान की बाढ़ इसलिए आई क्योंकि भंडार दो महीने बंद रहा?
हां, बिल्कुल। परंपरा के अनुसार दीपावली से पहले आने वाली चतुर्दशी पर भंडार नहीं खोला जाता। फिर इसके बाद भीड़भाड़ और अन्य व्यवस्थाओं को देखते हुए इसे इस बार दो महीने तक बंद रखा गया। इस लंबे अंतराल में लाखों भक्तों ने चढ़ावा चढ़ाया, जो दान पेटियों में जमा होता गया। इसी वजह से अक्टूबर-नवंबर का यह भंडार असाधारण रूप से भारी हो गया।
सांवलिया सेठ मंदिर इतना खास क्यों है?
श्रीसांवलिया सेठ मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है। कहा जाता है कि चित्तौड़गढ़ से करीब 36 किलोमीटर दूर भादसोड़ा के बागुंड क्षेत्र में जमीन के अंदर से तीन मूर्तियां मिली थीं।
ये मूर्तियां एक ही स्वरूप की थीं, लेकिन आकार अलग-अलग था-
- 24 इंच की मूर्ति भादसोड़ा में
- 18 इंच की मूर्ति बागुंड में
- 16 इंच की मूर्ति मंडफिया में स्थापित की गई
इन मूर्तियों में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप के सभी लक्षण हैं—शंख, चक्र, गदा और कमल। शरीर पर वैजयंती माला और प्राकृतिक उभरे हुए चिह्न इनकी आध्यात्मिकता को और गहरा बना देते हैं।
क्या सच में एक मूर्ति पर भृगु ऋषि के पैर का निशान है?
हां, यही वह रहस्य है जो इस मंदिर को देश के अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। कथा के अनुसार, एक बार ऋषि भृगु ने यज्ञ के फल के लिए त्रिदेवों की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। जब वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तो वे निंद्रा में थे। भृगु ऋषि को यह लगा कि भगवान उन्हें अनदेखा कर रहे हैं और उन्होंने क्रोध में भगवान के सीने पर लात मार दी। भगवान विष्णु ने क्रोधित होने के बजाय ऋषि के चरण पकड़कर उनसे कहा कि कि कहीं उनके कोमल पैरों को चोट तो नहीं लगी। यह विनम्रता देखकर भृगु ऋषि ने विष्णु को त्रिदेवों में श्रेष्ठ घोषित किया। कहा जाता है कि इसी घटना के कारण मूर्ति के सीने पर चरण चिन्ह उभरा है।इसीलिए इस मूर्ति के चरणों के दर्शन करने को भक्त विशेष मानते हैं। सबसे अनोखी बात यह है कि इन चरण चिन्हों के दर्शन सिर्फ 10 मिनट के लिए होते हैं, सुबह 4:50 से 5:00 बजे तक। इसके बाद इन्हें वस्त्रों से ढक दिया जाता है। देश में ऐसी परंपरा किसी भी अन्य मंदिर में नहीं है।
क्या मंदिर का वर्तमान स्वरूप किसी चमत्कार की वजह से बना?
हां। मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे भी एक रोमांचक कथा है। कहा जाता है कि भिंडर रियासत के राजा मदन सिंह एक बार नाव से यात्रा कर रहे थे। यात्रा के दौरान नाव बीच समुद्र में फंस गई और डूबने की स्थिति बन गई। नाव में मौजूद लोगों ने “पूरा भगत की जय” बोली, और तभी नाव सुरक्षित बाहर निकल आई। राजा को जब इसके पीछे का रहस्य पता चला कि पूरा भगत भादसोड़ा गांव का निवासी है, तो वे उनसे मिलने पहुंचे। पूरा भगत की इच्छा के अनुसार राजा मदन सिंह ने मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार कराया और आज का विशाल मंदिर परिसर तैयार हुआ।
क्या इस बार 40 करोड़ का दान पार होगा?
- मंदिर कमेटी का कहना है कि अभी चेक, ड्राफ्ट और ऑनलाइन दान की गिनती बाकी है।
- अब तक के चार राउंड में मिली राशि देखकर ऐसा अनुमान है कि इस बार 40 करोड़ पार होना लगभग तय है।
- दान की गिनती 26 नवंबर तक जारी रहेगी और आने वाली राशि पिछले सभी वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ सकती है।


