सार

राजस्थान के सीकर जिले के खंडेला पुलिस थाने में 13 साल के नाबालिग के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। पुलिस पर नाबालिग को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे न्याय की मांग की जा रही है।

सीकर। राजस्थान की पुलिस लगातार अपराधियों की धर पकड़ के लिए अभियान चलाती है। लेकिन इसी बीच राजस्थान में खाकी वर्दी को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां सीकर जिले में एक नाबालिग को पुलिस थाने में पेशाब पिलाने का मामला सामने आया है। खाकी की निर्दयता यहीं नहीं थमी, पेशाब पिलाने के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा भी डाला गया। पुलिस की इस हैवानियत की शिकायत किशोर के परिजनों ने आला अधिकारियों से करते हुए न्याय की मांग की है।

चोरी के मामले में घर से किशाेर को उठा लाई थी पुलिस

नाबालिग लड़का सीकर के खंडेला इलाके का रहने वाला है। जिसे पुलिस चोरी के मामले में पूछताछ के लिए लेकर आई थी। आरोप है कि इसके बाद पुलिस थाने में नाबालिग के साथ यह दुर्व्यवहार किया गया। मामले में एसपी भुवन भूषण यादव ने कहा है कि किशोर के साथ हुई अमानवीयत की शिकायत की जांच की जा रही है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

पुलिस ने कहा पिता के सामने की गई पूछताछ, सारे आरोप बेबुनियाद

वही खंडेला पुलिस ने इस मामले में अपनी सफाई दी है कि नाबालिग को जब पूछताछ के लिए बुलाया गया तो उसके पिता भी साथ में थे। नाबालिग ने चोरी करना स्वीकार किया है। लेकिन अब पुलिस पर दबाव बनाने के लिए मारपीट सहित अन्य आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि पुलिस मामले की जांच कर रही है।

रात भर थाने में पीटा गया, सुबह बच्चे को लेने गए दादा को भी पुलिस ने मारा

ग्रामीणों का कहना है कि 21 अक्टूबर की रात करीब 11:30 खंडेला पुलिस चोरी के एक मामले में 13 साल के नाबालिग लड़के को उसके घर से उठा कर ले आई और उसके बाद पुलिस थाने में उसके साथ जमकर मारपीट की। यहां पर उस लड़के के प्राइवेट पार्ट में डंडा घुसा दिया और उसे पेशाब भी पिलाया। सुबह जब नाबालिग लड़के के दादा उसे छुड़ाने के लिए गए तो वहां उनके साथ भी मारपीट की गई। पीड़ित परिवार का कहना है कि दोषी पुलिसकर्मी पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

ग्रामीणों ने कहा अगर किशोर दोषी था तो पुलिस ने उसे कोर्ट में क्यों नहीं पेश किया?

ग्रामीणों का कहना है कि यदि बच्चे ने चोरी की है तो पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया और यदि बच्चा दोषी ही था तो उसे बाल न्यायालय में पेश क्यों नहीं किया गया। यदि पेश किया जाता तो वह कोर्ट ही डिसाइड करता कि उसे बाल सुधार गृह भेजा जाए या फिर घर। बरहाल इस मामले में अब पुलिस जांच के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

 

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