सार
टोंक. राजस्थान के टोंक जिले में हुए हालिया उपचुनाव के दौरान हिंसा और उपद्रव की एक गंभीर घटना सामने आई है। इस घटना में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने के आरोप में नरेश मीणा को गिरफ्तार किया गया है, जबकि उनके 60 समर्थकों को भी पुलिस ने पकड़ लिया है। यह घटनाक्रम समरावता गांव में मतदान के दौरान हुआ, जब कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव किया, सरकारी और निजी वाहनों में आग लगा दी, और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की।
12 पुलिसकर्मी घायल , 25 बाइक और 9 गाड़ियां की आग के हवाले
इस घटना में करीब 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जबकि 25 बाइक और 9 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। स्थानीय पुलिस की 28 टीमों ने इस मामले में जांच शुरू की और अपराधियों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया। नरेश मीणा और उनके समर्थकों के खिलाफ 10 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें सरकारी काम में बाधा डालने, हिंसा फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं।
इन असामाजिक तत्वों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा
अजमेर रेंज के आईजी ओम प्रकाश ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस प्रकार के असामाजिक तत्वों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि ऐसे अपराधियों के साथ सहयोग करने से समाज का नुकसान होता है और कानून का उल्लंघन बढ़ता है। आईजी ने यह भी कहा कि किसी भी स्थिति में कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए और पुलिस प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।
राजस्थान की सियासत में आया भूचाल
नरेश मीणा की गिरफ्तारी और इस हिंसा के मामले ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है, और इस घटना को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। प्रशासन का मानना है कि इस प्रकार की हिंसक घटनाएं लोकतंत्र की साख को चोट पहुंचाती हैं, और समाज में शांति बनाए रखने के लिए कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।
लोकतंत्र के लिए खतरा ऐसी घटनाएं
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि चुनावी माहौल में उग्रवाद और असामाजिक गतिविधियां लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकती हैं, और इस पर काबू पाने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे।
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